33 करोड़ नहीं 33 प्रकार के देवी देवता होते है | 33 कोटि देवी देवता के नाम और पूरी जानकारी पढ़े
हमारे मन अक्सर यह सवाल आता है की क्या सच में हमारे 33 करोड़ देवी देवता है ? अगर है तो वो कौन है उनके नाम क्या है पूजा विधि क्या है और पूजा का फल क्या है और नहीं है तो हमेशा 33 करोड़ देवी देवता क्यू कहा जाता है । आईये आज हम इस विषय पर विस्तार में जानते है ।
हम आज जो भी जानते है हमारे धर्म के बारे में वो सब ज्ञान हमारे वेदों की देन है और हम यह भी जानते है की हमारे वेदों की भाषा संस्कृत है । और इसलिए संस्कृत अनुवाद की त्रुटी के कारण आज हम पढ़ते है 33 करोड़ देवी देवता वास्तव में वेदों में 33 कोटि देवी देवता का उल्लेख है कोटि संस्कृत शब्द है और इसका हिंदी में 2 अर्थ है कोटि = करोड़ , कोटि = प्रकार इन दोनों अर्थो के कारण ही यह असमंजस हुयी वास्तव में हमारे 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी देवता है जिनका विवरण इस प्रकार है : 8 वसु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 1 इंद्र व 1 प्रजापति (ब्रम्हा) है (कुछ विद्वान् इंद्र और प्रजापति की जगह 2 अश्विनी कुमार को रखते है ।)
आईये हम और विस्तार में पढ़ते है ।
1) 8 वसु - वसु अर्थात जिनमे हमारी आत्मा का वास होता है ये आठ वसु है धरती, अग्नि, जल, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य और नक्षत्र । ये आठ वसु है ये हमारी आत्मा को धारण करते है या फिर हमें पालने वाले भी कह सकते है ।
2) 11 रूद्र - रूद्र अर्थात शरीर के अव्यय, यह 11 रूद्र मनुष्य की आयु हरते है इनके नाम है (प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त और धनंजय) इनमे प्रथम पांच प्राण है और दुसरे पांच उपप्राण है अंत में 11वां जीवात्मा हैं । यह अव्यय एक एक करके हमारे शरीर से निकल जाते है तब यह रोदन करने वाले होते है । यह 11 रूद्र शरीर से निकलने के उपरांत मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होता है और उसके सगे सम्बन्धी रुदन करते है ।
3) 12 आदित्य - आदित्य अर्थात सूर्य । पृथ्वी पर 12 महीनो का एक वर्ष होता है और जैसे जैसे दिन ढलता है मनुष्य की आयु भी कम होती है अंशुमान, इंद्र, अर्यमान, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु । यह 12 आदित्य 12 महीनो के प्रतिक है ।
4) 1 इंद्र - इंद्र वर्षा और बिजली के देवता है यह उर्जा के भी देवता कहे जाते है ।
5) 1 प्रजापति - प्रजापति अर्थात प्रजा का पालन करने वाला को सभी तत्वों को नियंत्रित करके प्रजा का पालन करता है ।
6) अश्विनी कुमार - नास्तय और द्स्त्र (कुछ विद्वान् इंद्र और प्रजापति की जगह अश्विनी कुमारो को रखते है ।)
इस तरह इन सभी को मिलाकर बनते 33 प्रकार के देवी देवता यह सभी दिव्य गुणों से यूक्त होते है ।
इसी विषय और एक तर्क सामने आता रहता है की यह करोड़ ही है क्योकि देवी देवता अनेक है उनके रूप अनेक है विस्तार से जानते है आगे
प्रत्यक्ष है कि देवता एक स्थिति है, योनि हैं जैसे मनुष्य आदि एक स्थिति है, योनि है। मनुष्य की योनि में भारतीय, अमेरिकी, अफ्रीकी, रूसी, जापानी आदि कई कोटि यानी श्रेणियां हैं जिसमें इतने-इतने कोटि यानी करोड़ सदस्य हैं। देव योनि में मात्र यही 33 देव नहीं आते। इनके अलावा मणिभद्र आदि अनेक यक्ष, चित्ररथ, तुम्बुरु, आदि गंधर्व, उर्वशी, रम्भा आदि अप्सराएं, अर्यमा आदि पितृगण, वशिष्ठ आदि सप्तर्षि, दक्ष, कश्यप आदि प्रजापति, वासुकि आदि नाग, इस प्रकार और भी कई जातियां देवों में होती हैं जिनमें से 2-3 हजार के नाम तो प्रत्यक्ष अंगुली पर गिनाए जा सकते हैं।
शुक्ल यजुर्वेद ने कहा : अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता चन्द्रमा देवता वसवो देवता रुद्रा देवतादित्या देवता मरुतो देवता विश्वेदेवा देवता बृहस्पतिर्देवतेन्द्रो देवता वरुणो देवता।
अथर्ववेद में आया है : अहमादित्यरुत विश्वेदेवै
इसमें अग्नि और वायु का नाम भी देवता के रूप में आया है। अब क्या ऊपर की 33 देव नामावली में ये न होने से देव नहीं गिने जाएंगे? मैं ये नहीं कह रहा कि ये ऊपर के गिनाए गए 33 देवता नहीं होते बिलकुल होते हैं लेकिन इनके अलावा भी करोड़ों देव हैं।
भगवती दुर्गा की 5 प्रधान श्रेणियों में 64 योगिनियां हैं। हर श्रेणी में 64 योगिनी। इनके साथ 52 भैरव भी होते हैं। सैकड़ों योगिनी, अप्सरा, यक्षिणी के नाम मैं बता सकता हूं। 49 प्रकार के मरुद्गण और 56 प्रकार के विश्वेदेव होते हैं। ये सब कहां गए? इनकी गणना क्यों न की गई?
यह जानकारी तर्क वितर्क पर आधारित है परन्तु आज तक यह सिद्ध नहीं हो सका की देवता कितने है और 33 करोड़ या प्रकार सबने अपने अपने मत अनुसार इस विषय को सामने रखा है धर्म के किसी भी विषय पर सटीकता से कुछ भी बता पाना संभव नहीं है इसलिए कुछ न कुछ मानना अवश्य पड़ता है इसलिए अगर आप इस विषय पर कोई प्रमाणित तर्क दे सकते है तो आपना कीमती सुझाव अवश्य दे आप अपने सुझाव कांटेक्ट पेज पर दे सकते है
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