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VASTU: वास्तु शास्त्र क्या होता है?
Vastu-Fengshui / 2023/04/23

वास्तु शास्त्र क्या होता है?

वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जो भवनों, मंदिरों, नगरों, नगरीय विकास, और शहरी नियोजन से संबंधित है। इसे भारत की प्राचीन संस्कृति और धर्म से जोड़ा जाता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, जो भी निर्माण कार्य किया जाता है, उसमें उचित वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। इस तरह के नियम भवन की आकृति, स्थान, दिशा, वास्तु अनुसार उपयोग के लिए उपयुक्त अंतर्गत आते हैं। इस तरह के नियमों का पालन करने से भवन अधिक सुखद और सामंजस्यपूर्ण होते हैं और लोगों के जीवन में सुधार होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, सभी भौतिक वस्तुएं चैतन्य रहती हैं और इनकी एक अलग पहचान होती है। इसलिए, भवन बनाने के लिए सही मात्रा में अन्न, पानी, प्राकृतिक उपयोग की चीजों का उपयोग करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन की आकृति विशिष्ट होनी चाहिए और सही समय और दिशा के अनुसार भवन का निर्माण होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में इसे "वास्तु दोष" कहा जाता है। यदि भवन का निर्माण सही तरीके से नहीं होता है, तो उसमें निरंतर विपरीत ऊर्जा का आवेश होता है, जो लोगों को उन्मुख कर देता है और उनके जीवन में दुर्भाग्य और अशांति उत्पन्न करता है।

वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण के अलावा नगरों, नगरीय विकास और शहरी नियोजन के लिए भी नियम होते हैं। इन नियमों का पालन करने से नगर विकास एवं निर्माण सुगम और सुखद होता है और लोगों का जीवन सुखद रहता है।

वास्तु शास्त्र भारत की प्राचीन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इसे महर्षि मंडन मिश्र द्वारा लिखित ग्रंथ "मंडनला रत्नमाला" के रूप में पहली बार उल्लेख किया गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन के निर्माण में सभी उपायों का उपयोग करना चाहिए। जैसे कि बादलों के आधार पर भवन का आकार निर्धारित करना, प्रकृति के अनुसार से जुड़े पांच तत्वों (अग्नि, वायु, जल, भूमि और आकाश) का उपयोग करना, भवन के निर्माण में वास्तु दोषों से बचना और भवन के आकार में विशेष ध्यान देना जैसे कि अंगुलियों की संख्या आदि।

भवन निर्माण के अलावा, वास्तु शास्त्र में नगर विकास, नगरीय नियोजन और शहरी विकास के लिए भी नियम होते हैं। ये नियम शहर के भवनों, रोडों, गलियों और सड़कों के निर्माण तथा उनके आकार आदि के लिए होते हैं।

वास्तु शास्त्र में विद्यमान नियमों के अनुसार भवन निर्माण करने से, भवन निर्माण से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान होता है। इन समस्याओं में शामिल हैं ऊष्मा, स्वास्थ्य, आर्थिक तंगी आदि। वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए भवन निर्माण करने से भवन में स्वस्थ वातावरण मिलता है जो स्वस्थ जीवन जीने में सहायता करता है।

संक्षेप में, वास्तु शास्त्र एक प्राचीन शास्त्र है जो भवन निर्माण, नगर विकास, नगरीय नियोजन और शहरी विकास से संबंधित नियम बनाता है। यह शास्त्र पांच तत्वों के उपयोग, भवन के आकार, भवन के स्थान तथा नगर नियोजन के संबंध में नियम बनाता है। इसके अनुसार निर्माण किया गया भवन स्वस्थ, सुखद और सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है। इसके अलावा वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार निर्माण किए गए भवन में ऊष्मा और ऊर्जा की बचत होती है।

वास्तु शास्त्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण शास्त्र है जो हमें स्वस्थ जीवन जीने में सहायता करता है। इसके नियमों के अनुसार निर्माण किया गया भवन हमारी शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए हम सुरक्षित और सुखद वातावरण में रह सकते हैं जो हमारी जिंदगी को बेहतर बनाता है।

इसलिए वास्तु शास्त्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण शास्त्र है जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में सहायता करता है। यह शास्त्र हमारे जीवन की शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है। यह न केवल हमारे जीवन में सुधार लाता है, बल्कि भवन निर्माण के समय भी अहम रोल निभाता है। इससे हम सही समय पर सही भवन निर्माण करते हैं जो हमारी जिंदगी को बेहतर बनाने में सहायता करते हैं।

वास्तु शास्त्र के नियमों को अपनाने से हम सभी एक सुखद और सुरक्षित वातावरण में रह सकते हैं जो हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। वास्तु शास्त्र एक ऐसी शास्त्र है जो हमारे जीवन को सुखी, स्वस्थ और अनुकूल बनाने में मदद करता है।

इसलिए वास्तु शास्त्र हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे समझने के लिए हमें अध्ययन करना चाहिए ताकि हम अपने भवन निर्माण के समय सही निर्णय ले सकें। इससे हम सुखद और सुरक्षित वातावरण में रह सकते हैं जो हमें एक बेहतर जीवन जीने का मौका देता है। 

वास्तु शास्त्र का उपयोग हमें सही तरीके से जीवन का आनंद लेने में मदद करता है। यह हमें एक सुखद और सुरक्षित घर बनाने में मदद करता है जो हमें शांति और संतोष देता है।

वास्तु शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं जैसे कि सभी कमरों में प्रकाश और वायु का प्रवाह सुनिश्चित करना, उचित स्थान पर उचित दिशा में दरवाजे और खिड़कियों का निर्माण करना और घर में उचित रंगों का चयन करना।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन की निर्माण की प्रक्रिया में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, जमीन का चयन सही तरीके से करना चाहिए। दूसरा, भवन का निर्माण उचित दिशा में किया जाना चाहिए ताकि प्रकाश और वायु का सही प्रवाह हो सके। तीसरा, भवन का निर्माण उचित रंगों से होना चाहिए ताकि वह सुंदर लगे।

इससे बाहर, वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवन की निर्माण की प्रक्रिया में स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न सिर्फ भवन की निर्माण प्रक्रिया में ही नहीं, बल्कि उसकी व्यवस्था और सज्जा से भी वास्तु शास्त्र का ध्यान रखा जाता है। यह शास्त्र भवन के सभी कमरों में ऊर्जा के प्रवाह को सही ढंग से सुनिश्चित करने के लिए बताता है जैसे कि वातावरण और ऊर्जा बचाने के लिए ऊष्मा-प्रतिरोधी कार्यक्रम का उपयोग करना और उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना।

आजकल वास्तु शास्त्र बहुत ही लोकप्रिय हो गया है और यह बहुत से लोगों को आकर्षित करता है। जब भी हम घर या कोई अन्य भवन बनाने की सोचते हैं, हमेशा वास्तु शास्त्र का ध्यान रखना चाहिए। इससे हम अपने जीवन के लिए एक खुशहाल और सुखद घर बना सकते हैं।

समाप्ति रूप से, वास्तु शास्त्र भवन के निर्माण के लिए एक विज्ञान है जो हमें एक सुंदर और उपयोगी घर बनाने में मदद करता है। यह हमें सही तरीके से ऊर्जा का उपयोग करना, सुनिश्चित करना कि वातावरण और वायु का संचार सही हो और उचित रंगों और वास्तु शास्त्र भवन के निर्माण के लिए एक विज्ञान है जो हमें एक सुंदर और उपयोगी घर बनाने में मदद करता है। यह हमें सही तरीके से ऊर्जा का उपयोग करना, सुनिश्चित करना कि वातावरण और वायु का संचार सही हो और उचित रंगों और सजावट का उपयोग करना सिखाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाए गए घर उदारता, सुख और समृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं।

वास्तु शास्त्र न केवल एक भवन को एक सुंदर और उपयोगी दिखने के लिए बनाता है, बल्कि उसमें वास्तु दोषों को भी दूर करता है। वास्तु दोष जैसे कि कमरों में अधिक ऊर्जा के उपयोग, उचित वेंटिलेशन की कमी और दक्षिण दिशा में उच्च सीमाओं के कारण उन्नति में रुकावट आदि शास्त्र के अनुसार दूर किए जा सकते हैं।


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