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Bhagwan Vishnu ke 28 Divya Chamtkaari Naam | श्री विष्‍णोरष्‍टाविंशतिनामस्तोत्रम्
Spiritual / 2022/05/23

Bhagwan Vishnu ke 28 Divy Chamtkaari Naam | श्री विष्‍णोरष्‍टाविंशतिनामस्तोत्रम्

जय श्री हरी नारायण , आप सबने विष्णु सहस्त्रनाम के बारे में सुना होगा अर्थात भगवान विष्णु के 1000 नाम इन नामो को प्रतिदिन पढना साधारण मनुष्य के लिए संभव नहीं और इनका उच्चारण भी कठिन है ।
इसलिए महाभारत के काल में अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था की भगवान आपके प्रमुख नाम बताये जिन्हें जपने से ही सहस्त्रनामो को जपने का फल मिल जाये।  तब अर्जुन पर खुश होकर भगवान श्री कृष्ण ने अपने 28 मुख्य नाम बताये थे उन्ही 28 नामो की महिमा आज लिख रहा हु । 

कहा जाता है की जो साधक भगवान विष्णु के इन अट्ठाइस नामो का जप तीनो काल में करता है वो सब प्रकार से सुख समृद्धि को प्राप्त  करता है।  जीवन में सफलता उसके आगे आगे चलती है। उसके पास कभी भी धन की कोई कमी नहीं होती एवं  उसके सभी रोग समाप्त हो जाते है।  प्रभु की कृपा से उसे सौ वर्ष की आयु प्राप्त होती है एवं अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।


|| श्री विष्‍णोरष्‍टाविंशतिनामस्तोत्रम् || 
।। Twenty Eight Divine Names of Lord Vishnu ।।
(Shri Vishnu Asta Vinasti Nama Stotram)


अर्जुन उवाच - 
किं नु नाम सहस्राणि जपते च पुनः पुनः
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव

अर्जुन ने पूछा - हे केशव ! मनुष्य बार - बार आप एक हजार नामो का जप क्यों करता है आपके जो मुख्य दिव्य नाम है, उनका वर्णन कीजिये ।

श्रीभगवानुवाच

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम्
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ।।
पद्मनाभं सहस्राक्षं वनमालिं हलायुधम्
गोवर्धनं हृषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ।।
विश्‍वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम्
दामोदरं श्रीधरं च वेदांगं गरुड़ध्वजम् ।।
अनन्तं कृष्‍णगोपालं जपतो नास्ति पातकम्
गवां कोटिप्रदानस्य अश्‍वमेधशतस्य च ।।
कन्यादानसहस्राणां फलं प्राप्नोति मानवः
अमायां वा पौर्णमास्यामेकादश्‍यां तथैव च ।।
सन्ध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रातःकाले तथैव च
मध्याह्ने च जपन्नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ।।

इति श्रीकृष्‍णार्जुनसंवादे श्रीविष्‍णोरष्‍टाविंशतिनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्

श्री भगवान बोले - अर्जुन ! मत्स्य, कुर्म, वराह, वामन, जनार्दन, गोविन्द, पुण्डरीकाक्ष, माधव, मधुसुदन, पद्मनाभ, सहस्त्राक्ष, वनमाली, हयायुध, गोवर्धन, ऋषिकेश, वैकुण्ठ, पुरुषोत्तम, विश्वरूप, वासुदेव, राम, नारायण, हरी, दामोदर, श्रीधर, वेदांग, गरुडध्वज, अनन्त और कृष्णगोपाल 
इन नामो का जाप करने वाले मनुष्य के भीतर पाप नहीं रहता । वह एक करोड़ गो - दान, एक सौ अश्वमेघ और एक हज़ार कन्यादान का फल प्राप्त करता है । अमावस्या, पूर्णिमा, तथा एकादशी तिथिको और प्रतिदिन सायं - प्रातः एवं मध्याह के समय इन नामो का भक्ति पूर्वक जप करने वाला पुरुष सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जता है । 

इन 28 विशेष नामो को सरल भाषा में लिख रहे है 
1. मत्स्य = मछली का अवतार लेने वाले
2. कुर्म = कश्यप (कछुए) का अवतार लेने वाले
3. वराह = वराह का अवतार लेने वाले
4. वामन = वामन का अवतार लेने वाले
5. जनार्दन = जनता की मदद करने वाले 
6. गोविन्द = भगवान कृष्ण का एक नाम 
7. पुण्डरीकाक्ष = त्रिपुंड टीका लगाने वाले 
8. माधव = वसंत ऋतू में लीला करने वाले 
9. मधुसुदन = मनमोहक नाम 
10. पद्मनाभ = पद्म को धारण करने वाले
11. सहस्त्राक्ष = सहस्त्र भुजाओ वाले
12. वनमाली = वनमाला को धारण करने वाला
13. हयायुध = हल से युद्ध करने वाला 
14. गोवर्धन = गोवर्धन पर्वत को तर्जनी ऊँगली पर धारण करने वाले 
15. ऋषिकेश = ऋषियों में श्रेष्ठ
16. वैकुण्ठ = वैकुण्ठ लोक में निवास करने वाले 
17. पुरुषोत्तम = पुरुषो में श्रेष्ठ
18. विश्वरूप = समग्र विश्व
19. वासुदेव = भगवन विष्णु का एक नाम 
20. राम = राम अवतार 
21. नारायण = नरो से ऊपर 
22. हरी = कष्ट हरने वाले 
23. दामोदर = भगवन कृष्ण 
24. श्रीधर = श्री अर्थात लक्ष्मी को धारण करने वाले 
25. वेदांग = वेद है जिसके अंग
26. गरुडध्वज = गरुड़ वाहन रखने वाले 
27. अनन्त = कभी ना समाप्त होने वाले 
28. कृष्णगोपाल = भगवन कृष्ण का एक नाम 


स्त्रोत के बाद भगवान श्री हरी विष्णु की आरती करने का विधान है 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
 
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
 
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
 
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
 
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
 
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
 
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
 
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
 
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
 
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥ 

इस तरह भक्ति भाव से पूजन कर भगवान श्री हरी से प्रार्थना करे और अपनी इच्छा प्रकट करे भगवान श्री हरी नारायण के आशीर्वाद से आपको मनोकामना जल्दी पूरी होगी 

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