भगवान धन्वंतरि के मंत्र: रोगमुक्त जीवन की कुंजी
भगवान धन्वंतरि, आयुर्वेद के अच्छूत देवता और औषधियों के अधिष्ठाता, व्यक्तिगत और आरोग्यशास्त्र में अपने अद्भुत योगदान के लिए पूजे जाते हैं। उनका आभास हमें रोगमुक्त जीवन की दिशा में बढ़ाता है और इस दिशा में बढ़ने के लिए हम धन्वंतरि मंत्रों का अध्ययन कर सकते हैं। इन मंत्रों में छिपी शक्ति हमें रोगमुक्त और स्वस्थ जीवन की ओर प्रवृत्ति करने में सहायक हो सकती है।
धन्वंतरि मंत्र:
ॐ नमो भगवते महा-सुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये; अमृतकलशहस्ताय सर्वामयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रिलोक्यपुरुषाय महाविष्णवे नमः॥
धन्वंतरि मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति अपने शरीर और मन को शुद्ध कर सकता है, जिससे रोगों का संकट कम होता है। यह मंत्र भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, जो सर्वशक्तिमान हैं और सभी रोगों का नाश करने वाले हैं। इस मंत्र के ध्यान से व्यक्ति अपनी शक्ति को बढ़ा सकता है और रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
धन्वंतरि महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
यह महामृत्युंजय मंत्र महादेव शिव को समर्पित है और रोगमुक्ति के लिए प्राचीन काल से उपयोग हो रहा है। मंत्र का अर्थ है, "हम उस त्रिदेव को यजन करते हैं जिसका तीनों लोकों पर संचार है, जो सुगंधित है, जो सभी प्राणियों की वृद्धि करता है, और जो हमें मृत्यु के बंधन से मुक्ति प्रदान करता है।"
धन्वंतरि स्तोत्र:
आप धन्वंतरि स्तोत्र का अध्ययन करके भी अपने जीवन को रोगमुक्त बना सकते हैं। यह स्तोत्र धन्वंतरि की महत्ता और उनके आशीर्वाद को वर्णित करता है, जिससे भक्त उनके पास शरण लेते हैं और उनसे रोगमुक्ति प्राप्त करते हैं।
धन्वंतरि आरती:
धन्वंतरि आरती का अध्ययन भी भगवान के प्रति श्रद्धाभावना को बढ़ा सकता है और रोगमुक्त जीवन की दिशा में आगे बढ़ा सकता है। आरती गाने से भक्ति भावना में वृद्धि होती है और मानव अपने शरीर-मन को पवित्र बना सकता है।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
इन मंत्रों, स्तोत्रों, और आरतियों का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति अपने जीवन को रोगमुक्त बना सकता है और भगवान धन्वंतरि की कृपा से सद्गुण से युक्त जीवन जी सकता है। यह मंत्र सिर्फ शारीरिक रोगों का नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रोगों का भी उपचार करने में मदद कर सकता है, जो एक संतुलित और पूर्ण जीवन की दिशा में अग्रसर होता है।
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