भारत में चीता: 70 सालो बाद भारत में फिर दौड़ेंगे चीता | पढ़े कैसे हुआ यह संभव
Cheetah India: भारत से चीता को विलुप्त हुए 70 वर्ष पुरे हो चुके थे। लेकिन अब इंतजार ख़त्म हुआ और एक बार फिरसे भारत में चीता लौट आये है। नामीबिया से भारत 8 चीता लाये गए है माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जन्मदिवस के अवसर पर इन चीता को भारत लाया गया है।
क्या है प्रोजेक्ट चीता?
भारत ने अधिकारिक तौर पर 1952 में ही देश में चीता को पूर्ण रूप से विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया था। तब से अब तक कई सरकारों ने फिरसे चीता को भारत लाने की कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिली। यह उपलब्धि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को मिली और 2022 में अपने जन्मदिवस के दिन चीता को भारत ले आये। प्रोजेक्ट चीता के तहत नामीबिया से 8 चीता जिसमे 3 नर और 5 मादा चीता को भारत लाया जाना तय था । इन चीता पर गहन अध्यन के बाद इन्हें भारत लाया गया है व इस प्रोजेक्ट में इन्हें सुरक्षित लाने के साथ साथ इनकें पुनर्वास की सम्पूर्ण योजना शामिल थी विशेष विमान के जरिये इन्हें भारत लाया गया है आर्मी के हेलिकॉप्टर से इन्हें मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क ले जाया गया ।
कहा और कैसे रखा गया है चीता को?
Kuno National Park: नामीबिया से लाये चीता को मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में रखा गया है फ़िलहाल 1 महीने के लिए इन्हें बाड़े में रखा जायेगा फिर इन्हें जंगल में छोड़ दिया जायेगा। बाड़े में इन्हें खाना दिया जायेगा लेकिन जंगल में छोड़े जाने के बाद इन्हें खुद शिकार करके ही अपना पेट भरना होगा कुनो नेशनल पार्क चीता के लिए सबसे सही जगह साबित होगी क्योकि यह की जलवायु उनके लिए अनुकूल है और शिकार करने के लिए लम्बे घास के मैदान है। और उनके शिकार के लिए पर्याप्त जानवर है यह जैसे की चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे और भी अन्य जीव यह है और यह सभी जीव बड़ी संख्या है साथ ही कुनो नदी इनके पानी पिने का मुख्य स्त्रोत होगी जिससे पानी की कमी कभी नहीं होगी। एक चीता को एक साल में लगभग 50 जानवर खाने को चाहिए और कई पार्को को वैज्ञानिक निरिक्षण होने के बाद ही मध्यप्रदेश को चीता के लिए चुना गया है।
क्यों ईरानी चीतों को छोड़कर चुना दक्षिण अफ्रीका के चीतों को?
1970 में सरकार कोशिश कर रही थी की ईरानी चीता को भारत लाया जाए लेकिन वहा भी चीतों की संख्या में कमी को देखते हुए सरकार नहीं ला सकी और दक्षिण अफ्रीका की तरफ रुख किया दक्षिण अफ्रीका के चीता और ईरानी चीता में समानता पायी जाती है वो भारत की जलवायु के अनुकूल है इसलिए दक्षिण अफ्रीका से चीता को भारत लाने के निर्णय लिया गया। चीता में कोई संक्रमण ना फैले इसलिए सरकार ने आस पास के गाँवों के अन्य मवेशियों का टीकाकरण भी किया है साथ ही दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वह के वन्यजीव विशेषज्ञ भी इन चीतों पर नज़र रखेंगे। नामीबिया से लाये चीता के गले में सैटलाइट - वीएचएफ रेडियो कॉलर आईडी मौजूद है जिसकी मदत से उनपर निगरानी व मॉनिटरिंग और लेकर संक्रमण तक ट्रैक किया जा सकेगा।
क्या और भी चीता को लाया जायेगा भारत?
कई बार सवाल आता है की सिर्फ 8 ही क्यों तो सरकार द्वारा 2025 - 26 तक और भी चीता को भारत लाया जा सकता है इस प्रोजेक्ट पर 38.70 करोड़ रूपए का बजट रखा गया है। दुनिया में लगभग 8000 अफ्रीकन चीता है और एशियाई चीता की संख्या सिर्फ 50 के आसपास ही बची है। भारत के लिए इन चीता का संरक्षण एक बड़ी चुनौती होगी और इनकी संख्या को बढ़ाना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है।