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किस धातु के बर्तन के क्या फायदे होते हैं: खाद्य सामग्री के रूप में धातु के बर्तन का महत्व
Health-Beauty / 2023/10/12

क्या आप भी स्टिल के बर्तन मे खाना बनाते है? तो हो जाये सावधान

प्राचीन समय से ही हमने विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री को रखने और पकाने के लिए विभिन्न प्रकार के धातु के बर्तन का उपयोग किया है। आज भी कई घरों में कढ़ाई, पात्र, तवे, और अन्य धातु के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। ये धातु के बर्तन न केवल खाने की वस्तुओं को बेहतर स्वाद देते हैं, बल्कि ये हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे किस धातु के बर्तन के क्या फायदे होते हैं और क्यों ये एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सोना : सोना एक गरम धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आंतरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रोशनी बढ़ता है। 

चाँदी : चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखे स्वस्थ रहती है, आँखों पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है। 
कांसा : काँस के बर्तन खाने खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त मे शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन मे खट्टी छीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी छीजे एक धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। काँसे के बर्तन मे खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते है। 


तांबा : तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बंता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण - शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शारीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। तांबे के बर्तन मे दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है। 

पीतल : पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं। 

लोहा : लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है, लोहतत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वो को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडु रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को दूर रखता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है। 



स्टील : स्टील के बर्तन नुकसान दायक नहीं है क्योंकि ये ना ही गरम से क्रिया करते है ना ही अम्ल से। इसलिए नुकसान नहीं होता और स्टील के बर्तन मे खाना पकाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता।

एल्यूमिनियम : एल्यूमिनियम बोक्साईट का बना होता है। इसमे बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान ही होता है। यह आयरन और केल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का किसी भी रूप मे उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डीया कमजोर होती है, मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुँचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, वात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एल्यूमिनियम के प्रेशर कुकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोशाक तत्व खत्म हो जाते है।

मिट्टी : मिट्टी के बर्तनों मे खाना पकाने से ऐसे पोशाक तत्व मिलते है, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पोष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे - धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों मे खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादो के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोशाक तत्व मिलते हैं। 

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धातु के बर्तनों के आयुर्वेदिक गुणों और स्वास्थ्य लाभों के साथ-साथ, हमारे प्राचीन परंपराओं और भारतीय रसोई के लिए इनका महत्व अत्यधिक है। तांत और लौह के बर्तन खाद्य को स्वादिष्ट और स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं और उनमें रखे गए गुणों को सुरक्षित रखने में भी मदद करते हैं। आपके खाने की आयुर्वेदिक मूल्यों को बढ़ावा देने के बारे में यह अद्वितीय बर्तन आपके जीवनशैली को स्वस्थ और संतुलित बना सकते हैं। 

इसलिए, हमें अपनी रसोई में धातु के बर्तनों का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम स्वास्थ्यपूर्ण और स्वादिष्ट खाद्य का आनंद ले सकें, और हमारी संस्कृति को जीवंत रख सकें। इसके अलावा, यह भी हमारे पर्यावरण के लिए एक साइन्टिफिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को मिलाने में मदद कर सकता है, जो हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

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