भूलकर भी ये चिजे न चढ़ाये भगवान पर, झेलनी पड़ेगी मुसीबते
हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा का विधान है और मूर्तियों पर चढ़ावा चढ़ाने की प्रथा है लेकिन क्या आप जानते है भगवान् पर क्या नहीं चढ़ाना चाहियें? बहुत कम लोग ही जानते है की वास्तव में कौन से देवी देवता पर क्या चढ़ाया जाता है और क्या वर्जित है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है की कौन से भगवान् पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए। अगर आप भी मूर्ति पूजा करते है और भगवान में मानते है और पूजा के समय कई तरह की सामग्री का चढ़ाव चढाते है तो यह पोस्ट पूरा पढ़े और शेयर करे।
शास्त्रों के अनुसार देवताओ को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं: भगवान् श्री गणेश को प्रथमेश कहा जाता है क्योकि वे प्रथम पूजा के अधिकारी है भगवान शिव और माँ पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी की महिमा अपार है और हिन्दू धर्म में गणेशोत्सव बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है और पूजा के समय कई प्रकार के पदार्थ चढ़ाए जाते है लेकिन हम आपको बता दे की भगवान् श्री गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है।
देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं: देवी, माँ, माता जी, माता राणी जैसे कई नामो से हम जिन्हें जानते है वो सभी माँ दुर्गा के ही रूप है माँ की पूजा लगभग है घर में होती है और नवरात्री माँ का पावन त्यौहार है जिसे हम बहुत ही उत्साह से मनाते है, माँ को पूरा श्रृंगार चढ़ता है और फुल हार के साथ गजरा भी चढ़ाया जाता है लेकिन आपको ध्यान रखना होगा की माँ को दुर्वा कभी ना चढ़ाए।
शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं: देवादिदेव महादेव भगवान् शिव की पूजा का हमारे जीवन में सबसे अधिक महत्व है क्योकिं शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है वैसे तो भगवान् शिव को धतुरा, आक, बेल पत्र, दूध, दही, केसर, चन्दन, काले तिल, जो, गेहू, चावल, घी जैसे कई प्रकार के पदार्थ चढ़ाए जाते है लेकिन महादेव को केतकी के फूल भूलकर भी नहीं चढ़ाए। कहते है की महादेव को केतकी के फुल नहीं पसंद व वे रुष्ट हो जाते है।
विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं: भगवान् की पूजा में तिलक का विशेष महत्व है बिना तिलक के पूजा का प्रारम्भ नहीं होता, हम कुमकुम, चन्दन व केसर का तिलक करते है और कुमकुम के तिलक में चावल (अक्षत) भी लगाने का नियम है लेकिन भगवान् श्री हरी विष्णु को तिलक करते समय ध्यान रखना होगा की तिलक के समय आपको अक्षत (चावल) नहीं चढ़ाना चाहियें ।
दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें: आपने अक्सर देखा होगा की लोग घर के मंदिर में शंख रखते है शंख रखना शुभ है और बजाना भी शंख की ध्वनि सकारात्मक उर्जा का संचार करती है और नियमित शंख बजाने से स्वास्थ्य भी ठीक रहता है । लेकिन आपको एक ही घर में या मंदिर में 2 शंख नहीं रखने चाहिए अगर रखने भी है तो दोनों अलग अलग प्रकार के शंख रख सकते है ।
मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें: भगवान श्री गणेश की प्रतिमा शायद ही किसी मंदिर में ना मिले, प्रथम पूजा के अधिकारी भगवान् श्री गणेश की प्रतिमा हम मंदिर में रखते है और आजकल फैशन के जमाने में गणेश जी की एक से अधिक प्रतिमा रख देते है लेकिन भगवान् की सिर्फ एक ही प्रतिमा रखनी चाहिए । विशेष कर मंदिर में 3 प्रतिमा या फोटो ना रखे ।
तुलसी पत्र चबाकर न खाएं: तुलसी के पत्ते स्वास्थ्य के लाभकारी है और अनेको फायदे देते है कहा जाता है की सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और कई प्रकार के रोग शरीर से दूर रहते है । लेकिन आपको तुलसी के पत्तो को सीधे निगलना चाहिए इन्हें चबाकर नहीं खाना चाहिए ।
द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें: हमारे जीवन में वास्तु का बहुत महत्व है वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में द्वार पर जूतों और चप्पलो को उल्टा रखना वर्जित कहा गया है । इसलिए ध्यान रखे अगर गलती से भी चप्पल या जूते उल्टे रखे है या बिखरे हुए रखे है तो उन्हें सही करे, कहा जाता है की इस से घर में रोग जन्म लेते है ।
दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं: मंदिर में घंटी बजाना बहुत ही शुभ है और इसके वैज्ञानिक दृष्टी से भी बहुत से लाभ है लेकिन मंदिर से वापिस जाते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए । घंटी बजाने से दिमाग में चलने वाली सभी तरंगे टूट जाती है विशेष रूप से नकारात्मक तरंगे समाप्त होकर सकारात्मक उर्जा का संचार होता है इसलिए वापिस घंटी नहीं बजानी चाहिए जिससे सकारात्मक तरंगे ना टूटे और उर्जा बनी रहे ।
एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए: भगवान की पूजा आरती के बाद हम आरती लेते है आजकल एक हाथ मे फोन होने की समस्या से लोग एक हाथ से ही आरती लेते है लेकिन यह अशुभ माना जाता है आपको दोनों हाथो से ही आरती लेनी चाहिए ।
ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए: ब्राह्मण को समाज मे गुरु का स्थान प्राप्त है इसलिए जब कोई अतिथि ब्राह्मण आपके घर आए तो उन्हे उचित आसन पर ही बिठाना चाहिए ।
स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है: नारी के बारे मे कहा गया है की जहा नारी की पूजा होती है वह भगवान स्वयं निवास करते है इसलिए स्त्री से दंडवत प्रणाम नहीं करवाना चाहिए ।
बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए: दीक्षा का महत्व हम सभी जानते है इसलिए ज्योतिष या शास्त्री से किसी भी प्रकार की सलाह लेते समय उन्हे अपनी क्षमता अनुसार दक्षिणा अवश्य दे ।
घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें: महादेव की पूजा हर घर मे होती है ओर कुछ लोग घर मे शिवलिंग भी रखते है लेकिन हम आपको बता दे की घर मे शिवलिंग नहीं रखनी चाहिए क्योकि उसके नियम बहुत ही कठोर है ओर अगर आप रखते भी है तो शिवलिंग का आकार अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए ।
तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो: भगवान शिव को तुलसी चढ़ना वर्जित है इसलिए तुलसी के पेड़ के पास शिवलिंग की स्थापना ना करे ।
गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना चाहियें: भगवान शिव की पूजा के कोई निमय नहीं है उनकी पूजा देव ओर दानव दोनों ही समान रूप से करते है । लेकिन गर्भवती महिला को शिवलिंग को स्पर्श नहीं करना चाहिए ।
स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना चाहियें: मंदिर मे नारियल फोड़ने की प्रथा है और नारियल फोड़ने के लिए विशेष स्थान बना हुआ होता है लेकिन स्त्रियो द्वारा नारियल फोड़ना वर्जित माना गया है ।
रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है: माँ कामाख्या के मंदिर को छोड़कर अन्य सभी मंदिरो मे राजस्वला स्त्री का प्रवेश वर्जित है ।
परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें: घर मे नए बालक का जन्म के समय ओर किसी की मृत्यु के समय सूतक काल होता है उस समय भगवान की प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए ।
शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता: सभी मंदिर मे आरती के बाद परिक्रमा करने का विधान है लेकिन भगवान शिव के मंदिर मे परिक्रमा नहीं की जाती अगर आपको परिक्रमा करनी ही है तो शिव मंदिर मे आधी परिक्रमा ही की जाती है आप भगवान शिव को चढ़ाये गए जल के निकासी के लिए जो कुंड बना हुआ है उसे लांघ नहीं सकते ।
एक हाथ से प्रणाम न करें: हिन्दू धर्म मे मिलते समय प्रमाण करने का रिवाज है लेकिन उसके पीछे वैज्ञानिक तर्क भी है की हाथ जोड़ते से समय हमारे हाथ आपस मे ऊर्जा का संचार करते है इसलिए एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए ।
दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए: दिवाली मे जब हम बाहर दीपक लगते है उस समय अक्सर हम पड़ोसी के जलते दिये से ही हमारे दीपक हो जलते है लेकिन ऐसा करना अशुभ है स्वयं का दीपक स्वयं ही जलाए ओर स्वयं के दीपक से ही दूसरे दीपक जलाए ।
चरणामृत लेते समय के नियम: चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे, चरणामृत पीकर हाथों को शिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें ।
देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें: हम देवी देवताओ को कई प्रकार के धूप करते है लेकिन आपको ध्यान रखना होगा की देवताओ को लोबान का धूप या अगरबत्ती ना करे यह सर्वथा वर्जित है ।
स्त्री द्वारा हनुमानजी और शनिदेव को स्पर्श वर्जित है: भगवान हनुमान जी ब्रह्मचारी है इसलिए उनके लिए सभी स्त्रियो को माता स्वरूप ही है इसलिए स्त्रियो द्वारा हनुमानजी की प्रतिमा का स्पर्श वर्जित कहा गया है साथ ही शनिदेव के मंदिर मे भी स्त्रियो का मूर्ति को स्पर्श वर्जित है ।
कंवारी कन्याओं से पैर पडवाना पाप है: कंवारी कन्या को हम देवी समान मानते है इसलिए उनसे पैर पडवाना पाप कहा जाता है ।
मंदिर मे प्रवेश के नियम: हम मंदिर मे कई बार ऐसे ही प्रवेश करते है लेकिन आपको मंदिर मे प्रवेश के समय पूर्ण रूप से साथ सुथरे कपड़े पहन कर ही प्रवेश करना चाहिए, मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें, मंदिर में भीड़ होने पर लाईन पर लगे हुए भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही अग्रसर होते रहें। मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए ।
- घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो ।
- हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें ।
- मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए ।
- मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों, दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें ।
- आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्तप्रक्षालन अवश्य करें ।
शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर प्रवेश वर्जित है: वैसे तो किसी भी धर्म के धार्मिक स्थलो मे लगभग शराब पीकर जाना माना है लेकिन हिन्दू धर्म मे भैरव बाबा के मंदिर मे शराबी जा सकते है ।
यह सभी निमय ओर परंपराए प्राचीन काल से चली आ रही है आज की पीढ़ी को कुछ दोष भी लगती है और कुछ गलत भी इसलिए आप अपने मत अनुसार नियमो का पालन करे ।