गर्भाधान संस्कार: गर्भाधान की ऐसे करे तैयारी होगी सुयोग्य संतान
जानें क्या है गर्भाधान: गर्भाधान 16 संस्कारों में से प्रथम है। महर्षि चरक के अनुसार, इस संस्कार के लिए मनुष्य के मन का प्रसन्न होना और पुष्ट रहना बेहद आवश्यक है। अगर माता-पिता उत्तम संतान की इच्छा रखते हैं तो उन्हें गर्भाधान से पहले मन और तन की पवित्रता के साथ यह संस्कार करना अहम होता है। वैदिक काल में इस संस्कार को काफी अहम माना जाता था। गर्भाधान-संस्कार स्त्री और पुरुष के शारीरिक मिलन को ही कहा जाता है। प्राकृतिक दोषों से बचने के लिए यह संस्कार किया जाता है जिससे गर्भ सुरक्षित रहता है। इससे माता-पिता को अच्छी और सुयोग्य संतान प्राप्त होती है।
कैसे करे गर्भाधान की तैयारी?
- गर्भाधान संस्कार करने से लगभग 60 दिन पहले से अपना आहार - विहार और आचार - विचार सात्विक, सरल और अच्छा रखा जाएगा। गर्भाधान के समय पति - पत्नी की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति उतनी ही अच्छी रह सकेगी। इतने डीनो के प्रयास के बिना ऐन वक्त पर ऐसी स्थिति नहीं बन सकती।
- आहार मे तले हुये, तेज मिर्च - मसालेदार, उष्ण प्रकृति के और खट्टे पदार्थो का सेवन कम से कम करें, मांसाहार, शराब और अन्य मादक पदार्थो का सेवन कतई न करें। अधिक से अधिक फलाहार करें। शुद्ध शाकाहारी भोजन करें, दूध - चावल की खीर, हलवा, मक्खन मिश्री, स्निग्ध पदार्थ, सूखे मेवे आदि पौष्टिक पढ़ार्थों का सेवन यथासंभव करते रहें।
- सुबह जल्दी उठ करे शौच स्नान से निवृत्त होकर योगासन या व्यायाम आदि करना चाहिए। रात को सोने से पहले भी शौच अवश्य जाना चाहिए ताकि पेट साफ रहे और कब्ज न रहे। गर्मी के दिनों मे दोनों समय स्नान करें तो अच्छा है।
- इन दिनों मे पति - पत्नी परस्पर सौम्य, मधुर और स्नेह पूर्ण व्यवहार एवं वार्तालाप करे। वैमनस्य, कटु वचन, कलह, तनावपूर्ण वातावरण और शोक से बच कर रहें। एक - दूसरे से तादात्म्य बनाए रखें, ताकि गर्भाधान के समय भी ऐसी ही मानसिकता बनी रह सके।
- यह सब उपाय और प्रयास करते हुए भी इसकी चर्चा किसी से न करें यानि इसे चर्चा का विषय न बनने दें। सारा कार्यक्रम पति - पत्नी के बीच मे रहना चाहिए। इन दिनों में अच्छी पुस्तकें व धार्मिक ग्रंथ पढ़ते रहें। अच्छे विचार रखें चिंता, शोक और क्रोध करने से बचें।
आप नियमित रूप से इन नियमो का पालन करे आपको सुयोग्य संतान की प्राप्ति होगी। वैदिक काल मे गर्भाधान संस्कार का बहुत अधिक महत्व होता था।