आदर्श विद्यार्थी के 5 लक्षण
विद्यार्थी जीवन बहुत मर्यादित और अनुशाशन पूर्ण होता है वैसे तो विद्यार्थियों में कई गुण होने चाहिए लेकिन शास्त्रों के अनुसार विद्यार्थियों के 5 प्रमुख लक्षण व गुणों का बताया गया है। पढ़े विद्यार्थियों के 5 गुण संस्कृत श्लोक में और हिंदी अर्थ सहित ।
काकचेष्टा बकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च।
अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम्॥
अर्थात् विद्यार्थी के पाँच लक्षण हैं-
काकचेष्टा - कौए की तरह चेष्टा (सब ओर दृष्टि, त्वरित निरीक्षण क्षमता)
बकोध्यानं - बगुले की तरह ध्यान
श्वाननिद्रा - कुत्ते की तरह नींद (अल्प व्यवधान पर नींद छोड़कर उठ जाय)
अल्पहारी - कम भोजन करने वाला
गृहत्यागी - अपने घर और माता-पिता का अधिक मोह न रखने वाला।
इसी प्रकार सुख का त्याग भी अनिवार्य होता है विद्याथियो के लिए कहा गया है की -
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम्।
सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतो सुखम्॥
अर्थात् सुख चाहने वाले को विद्या छोड़ देनी चाहिए और विद्या चाहने वाले को सुख छोड़ देना चाहिए। क्योंकि सुख चाहने वाले को विद्या नहीं आ सकती और विद्या चाहने वाले को सुख कहाँ?
इसी तरह एक विद्याथी को विद्या कहा से और कैसे प्राप्त होती है उसके बारे में भी विस्तार से कहा गया है की -
आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया ।
पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादं कालक्रमेण च ॥
अर्थात् विद्यार्थी अपना एक-चौथाई ज्ञान अपने गुरु से प्राप्त करता है, एक चौथाई अपनी बुद्धि से प्राप्त करता है, एक-चौथाई अपने सहपाठियों से और एक-चौथाई समय के साथ (कालक्रम से, अनुभव से) प्राप्त करता है।
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