12 ज्योतिर्लिंगों के नाम को ऐसे जपने से 7 जन्मों के पाप भी मिट जाते है
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥२॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे ।
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ॥३॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥४॥
इन श्लोको के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंग है और इन्ही श्लोको में उन ज्योतिर्लिंगों के नाम और वह कहा पर स्थित है इसका वर्णन किया गया है । आईये हम इन श्लोको के अनुसार ज्योतिर्लिंग का विवरण समझते है ।
1) सौराष्ट्र (गुजरात का कठियावाड क्षेत्र) में स्थित है प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर
2) श्रीशैल पर्वत (चैन्नई के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित पर्वत) पर स्थित श्री मल्लिकार्जुन मंदिर (मल्लिका = देवी पार्वती, अर्जुन = महादेव)
3) उज्जैन (मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित) श्री महाकालेश्वर मंदिर (यहा अब भव्य महाकाल कोरिडोर बन चूका है)
4) उज्जैन से खंडवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नाम का स्टेशन है वहां से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है श्री ॐकारेश्वर और अमलेश्वर दो अलग अलग शिवलिंग है लेकिन ये दोनों एक ही स्वरुप है ।
5) परली (आंध्रप्रदेश के हैदराबाद से पहले रेलवे स्टेशन परभानी जंक्शन से परली रेलवे स्टेशन तक रेल मार्ग से जा सकते है वह से पास में परली गाँव में) श्री वैद्नाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर है ।
6) महाराष्ट्र के पुणे से उत्तर में भीमा नदी के तट पर सहापर्वत (डाकिनी पर्वतमाला - एक समय वहा डाकिनी और भूतो का वास था) पर श्री भीमशंकर महादेव का मंदिर है ।
7) श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है) कहते है की भगवान श्री राम से रामेश्वर का अर्थ पूछा गया तो उन्होनें कहा जो राम के इश्वर है वो रामेश्वरम और उसी समय देवी पार्वती ने भगवान शिव से रामेश्वर का अर्थ पूछा तो भगवान् शिव ने कहा राम जिसकें इश्वर वो है रामेश्वर । इस तरफ दोनोँ भगवानो ने एक दुसरे को बड़ा दर्शाया ।
8) नागेश्वर - गुजरात के द्वारका में स्थित नागो के ईश्वर कहलाने वाले सदाशिव शिव को नागेश्वर कहा जाता है ।
9) संपूर्ण विश्व के रक्षक व पालनहार कहलाने वाले बाबा विश्वेश्वर ज्योतिर्लिग का धाम वाराणसी (काशी) में स्थित है ।
10) महाराष्ट्र के नाशिक के पंचवटी (जिस स्थान पर लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक काटी थी।) में गोदावरी नदी के तटपर श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का धाम है ।
11) हिमालय पर्वत की पहाडियों में जगप्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम है, मन्दाकिनी नदी के तट पर यह धाम है ।
12) श्री घुश्मेश्वर को घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गाँव के पास है ।
ऐसी मान्यता है की जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम का स्मरण करता है उनके सात जन्मों का पाप इन नामो के स्मरण मात्र से ही मिट जाता है ।