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Travel / 2022/06/03

BUDDHA: अगर मन अशांत है तो एक बार बोधगया घूम आये | जाने सबकुछ

बिहार की राजधानी पटना के दक्षिणपूर्व में लगभग 101 किलोमीटर दूर स्थित बोधगया "गया" जिले से सटा एक छोटा शहर है। बोधगया एक प्राचीनतम शहर (Oldest City bodhgaya) है। लगभग 500 ईसा पूर्व यहां गौतम बुद्ध ने फल्गु नदी के किनारे बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर कठिन तपस्या किया था। जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस स्थान पर उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया इसलिए उन्हें बुद्धा कहा गया, भगवान बुद्ध को जिस दिन ज्ञान प्राप्ति हुयी वो दिन बुद्ध पूर्णिमा के में नाम से प्रसिद्ध हो गया। वर्ष २००२ में यूनेस्को द्वारा इस शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया।

बोधगया दुनिया का ऐसा महत्वपूर्ण स्थल है जो पूरी तरह बौद्ध धर्म को समर्पित है। यहां मौजूद बरगद के पेड़ के नीचे ही कपिलवस्तु के राजकुमार गौतम को बौद्धिक ज्ञान प्राप्त हुआ था और वह महात्मा बुद्ध के नाम से पूरी दुनिया में जाने गए। महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान और उपदेश से बिहार में पहली बार बौद्ध धर्म का प्रचार किया। यहां उन्होंने पीपल के पेड़ के नीचे पांच साल तक तपस्या की। इसके बाद भगवान बुद्ध ने दुनिया को शांति और अंहिसा का पाठ पढ़ाया। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा संस्मरण में बोधगया में स्थित प्रसिद्ध बोध मंदिर को महाबोधि मंदिर का नाम दिया। वहीं सम्राट अशोक की बोधि वृक्ष के प्रति गहरी आस्था थी।

महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple)
यह मंदिर मुख्‍य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की बनावट सम्राट अशोक द्वारा स्‍थापित स्‍तूप के समान हे। इस मंदिर में बुद्ध की एक बहुत बड़ी मूर्त्ति स्‍थापित है। यह मूर्त्ति पदमासन की मुद्रा में है। यहां यह अनुश्रुति प्रचिलत है कि यह मूर्त्ति उसी जगह स्‍थापित है जहां बुद्ध को ज्ञान निर्वाण (ज्ञान) प्राप्‍त हुआ था। मंदिर के चारों ओर पत्‍थर की नक्‍काशीदार रेलिंग बनी हुई है। ये रेलिंग ही बोधगया में प्राप्‍त सबसे पुराना अवशेष है। इस मंदिर परिसर के दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रा‍कृतिक दृश्‍यों से समृद्ध एक पार्क है जहां बौद्ध भिक्षु ध्‍यान साधना करते हैं। आम लोग इस पार्क में मंदिर प्रशासन की अनुमति लेकर ही प्रवेश कर सकते हैं। बुद्ध के ज्ञान प्रप्ति के २५० साल बाद राजा अशोक बोध्गया गए। माना जाता है कि उन्होंने महाबोधि मन्दिर का निर्माण कराया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पह्ली शताब्दी में इस मन्दिर का निर्माण कराया गया या उस्की मरम्मत कराई गई। हिन्दुस्तान में बौद्ध धर्म के पतन के साथ साथ इस मन्दिर को लोग भूल गए थे और ये मन्दिर धूल और मिट्टी में दब गया था। १९वीं सदी में Sir Alexander Cunningham ने इस मन्दिर की मरम्मत कराई। १८८३ में उन्होंने इस जगह की खुदाई की और काफी मरम्मत के बाद बोधगया को अपने पुराने शानदार अवस्था में लाया गया।

बुद्ध की भव्य प्रतिमा (Great Buddha Statue)

buddha statue

80 फीट की ऊँचाई पर खड़ी भगवान बुद्ध की प्रतिमा (Statue), भगवान बुद्ध और बोधगया से जुड़े धार्मिक, आध्यात्मिक स्मारकों में से एक है। देश की सबसे ऊंची बुद्ध मूर्तियों में से एक है. जिसकी संरचना 1989 में दलाई लामा की ओर से स्थापित की गई थी।

बोधगया में बहोत से मठ और भव्य मंदिर भी है दर्शन के लिए जापानी, थाई और तिब्बत जैसे बुद्धा के अनुयायी देशो के भव्य मठ और मंदिर है। जो सैलानियों के लिए मन मोहन और मानसिक शांति प्रदान करने वाले है।

राजगीर
बोधगया आने वालों को राजगीर भी जरुर घूमना चाहिए। यहां का विश्‍व शांति स्‍तूप देखने में काफी आकर्षक है। यह स्‍तूप ग्रीधरकूट पहाड़ी पर बना हुआ है। इस पर जाने के लिए रोपवे बना हुआ। इसका शुल्‍क 80 रु. है। इसे आप सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक देख सकते हैं। इसके बाद इसे दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक देखा जा सकता है।

नालन्‍दा
यह स्‍थान राजगीर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन काल में यहां विश्‍व प्रसिद्ध नालन्‍दा विश्‍वविद्यालय स्‍थापित था। अब इस विश्‍वविद्यालय के अवशेष ही दिखाई देते हैं। लेकिन हाल में ही बिहार सरकार द्वारा यहां अंतरराष्‍ट्रीय विश्‍व विद्यालय स्‍थापित करने की घोषणा की गई है जिसका काम प्रगति पर है। यहां एक संग्रहालय भी है। इसी संग्रहालय में यहां से खुदाई में प्राप्‍त वस्‍तुओं को रखा गया है।

बोधगया कैसे पहुचें

गया, राजगीर, नालन्‍दा, पावापुरी तथा बिहार शरीफ जाने के लिए सबसे अच्‍छा साधन ट्रेन है। इन स्‍थानों को घूमाने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा एक विशेष ट्रेन बौद्ध परिक्रमा चलाई जाती है। इस ट्रेन के अलावे कई अन्‍य ट्रेन जैसे श्रमजीवी एक्‍सप्रेस, पटना राजगीर इंटरसीटी एक्‍सप्रेस तथा पटना राजगीर पसेंजर ट्रेन भी इन स्‍थानों का जाती है। इसके अलावे सड़क मार्ग द्वारा भी यहां जाया जा सकता है।

  • हवाई मार्ग
नजदीकी हवाई अड्डा गया (07 किलोमीटर/ 20 मिनट)। इंडियन, गया से कलकत्ता और बैंकाक के साप्‍ताहिक उड़ान संचालित करती है। टैक्‍सी शुल्‍क: 200 से 250 रु. के लगभग।

  • रेल मार्ग
नजदीकी रेलवे स्‍टेशन गया जंक्‍शन। गया जंक्‍शन से बोध गया जाने के लिए टैक्‍सी 

  • सड़क मार्ग
गया, पटना, नालन्‍दा, राजगीर, वाराणसी तथा कलकत्ता से बोध गया के लिए बसें चलती है।

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