खाटू श्याम जी - निशान यात्रा क्या है?
हारे का सहारा कौन? अक्सर यह सवाल मन में आता है लोग ताकतवर को देख कर साथ छोड़ देते है फिर कौन है जो हारे हुए को सहारा देता है। हार को जित में बदल देता है वो है हारे के सहारे खाटू श्याम जी। भगवान् श्री कृष्ण के मांगने पर अपना शीश काट कर देने वाले क्या नहीं दे सकते। खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में है। वही खाटू श्याम जी मंदिर में रींगस से निशान यात्रा जाती है, कहते है की निशान लेकर जाने वाला खाटू से कभी खाली हाथ नहीं लौटा या कहे तो निशान चढाने वाला कभी नहीं हारा। आईये पढ़ते है निशान यात्रा क्या है?
निशान यात्रा: फाल्गुन मेले में निशान यात्रा का भी बहुत बड़ा महत्व है। निशान यात्रा एक तरह की पदयात्रा होती है जिसमे भक्त अपने हाथो में श्री श्याम ध्वज हाथ में उठाकर श्याम बाबा को चढाने खाटू श्याम जी मंदिर तक आते है। इसी श्री श्याम ध्वज को निशान कहा जाता है। मुख्यत यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम जी मंदिर तक की जाती है यह 18 किमी की यात्रा है।
खाटू में आपको रहने के लिए होटल और धर्मशाला मिल जाएगी। आप आसपास की दुकानों से निशान खरीद कर नंगे पैर यात्रा शुरू कर सकते है। खाटू में दर्शन के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गयी है जिससे श्याम बाबा के दर्शन आसानी से हो जाते है।
निशान का स्वरूप: निशान मुख्यतः केसरी, नीला, सफेद, लाल रंग का झंडा/ध्वज होता है। इन ध्वजाओं पर श्याम बाबा और भगवान श्री कृष्ण के जयकारे और दर्शन के फोटो होते है। कुछ निशानों पर नारियल एवं मोरपंखी भी लगी होती है। इसके सिरे पर एक रस्सी बंधी होती है जिससे यह निशान हवा में लहराता है। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत अनेक भक्त अब सोने-चांदी के भी निशान श्याम बाबा को अर्पित करने लगे हैं।
खाटू में निशान चढाने के लिए वैसे तो फाल्गुन महिना विशेष माना जाता है, फल्गुल मेले में यहाँ लाखो की भीड़ उमड़ती है। लेकिन आप किसी भी दिन निशान चढ़ा सकते है। अगर आप लम्बी यात्रा करने में सक्षम नहीं है तो तोरण द्वार से भी यात्रा शुरू कर सकते है तोरण द्वार से लगभग 500 मीटर ही यात्रा होगी लेकिन दिल से की गयी 1 कदम की यात्रा का भी उतना ही महत्व है।
उम्मीद करते है आपको जानकारी पसंद आई होगी।