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राजस्थान का कश्मीर कश्मीर जैसी वादियाँ देखे अब राजस्थान में - Moon Land of Rajasthan
Travel / 2022/06/02

कश्मीर जैसी वादियाँ देखे अब राजस्थान में - Moon Land of Rajasthan

राजस्थान में कश्मीर सुनने में थोडा अजीब लग रहा है परन्तु यह सच है कश्मीर जैसी ही वादियाँ और खुबसूरत नज़ारे बर्फ नहीं पर बर्फ जैसी सफ़ेद चादर नीले पानी का तालाब यह सब राजस्थान में है। राजस्थान आज भी अपनी संस्कृति के प्रसिद्ध है। जयपुर, उदयपुर, बीकानेर जैसे राजस्थान के हर जिले में राजशाही की निशानिया देखने मिलती है। यह शाही महल, किले, पहाड़, चट्टानें, गुफाएं, नदियाँ, झीले, तालाब और पहाड़ो से बरसते पानी के प्राकृतिक झरने देखने मिलेंगे। इसलिए हमारी सलाह है की जीवन में एक बार तो समय निकाल कर राजस्थान की सैर अवश्य करे।

kishangarh rajasthan

राजस्थान का काश्मीर Moon Land in Rajasthan
हम कई बार सोचते है की हम चाँद पर नहीं गयें और ना जा सकते है अब घबराइए मत राजस्थान में एक ऐसी जगह है जिसे "मून लैंड ऑफ़ राजस्थान" कहा जाता है। हम बात कर रहे है किशनगढ़ की, किशनगढ़ में राजस्थान का सबसे बड़ा मार्बल का डंपिंग यार्ड है यह पर आपको मार्बल के पहाड़ और नीले पानी के तालाब देखने मिलेंगे वैसे यह की बनी - ठनी पेंटिंग काफी मशहुर है। यह जगह शाम के समय और भी खुबसूरत नज़र आती है। कम खर्च में हनीमून के लिए ये जगह परफेक्ट है।

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Film ke gaano ki shooting bhi hoti hai
इस जगह को लेकर हम टेलीविज़न पर भी धोखा खा जाते है यह पर बहोत से फिल्मों के गानों की शूटिंग हुयी है और सलमान खान की फिल्म 'दबंग 3' का यूं करके गाना यही शूट हुआ है। इसके अलावा कपिल शर्मा की फिल्म 'किस किस को प्यार करूं', भागी 3 जैसी हिट फिल्मों के गाने भी इसी लोकेशन पर फिल्माए गए हैं। फोटोशूट के लिए परफेक्ट जगह है किशनगढ़ का डंपिंग यार्ड, आप प्री वेडिंग या पोस्ट वेडिंग फोटोशूट के लिए अगर जगह तलाश रहे है तो यह लोकेशन सबसे बढ़िया है। 

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How to reach kishangarh
किशनगढ़ अजमेर से लगभग 31 किलोमीटर की दुरी पर है। आप यहाँ जयपुर से भी जा सकते है जयपुर से ये तक़रीबन 105 किलोमीटर की दुरी पर है। यहाँ आपको किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन से अनुमति लेनी होगी अनुमति के लिए आपको अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखाना होगा।

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किशनगढ़ की स्थापना कब हुयी थी?
किशनगढ़ राज्य 1611 से 1948 तक भारत की एक रियासत थी। इसकी स्थापना 1609 में जोधपुर राजकुमार किशन सिंह ने की थी। किशन सिंह से पहले इस क्षेत्र पर राजा समोखन सिंह का शासन था जो नौबत खान के दादा थे। 

किशनगढ़ में देखने व घुमने लायक क्या है?

किशनगढ़ का किला
यह किला राजपूताना और मुगल वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है, जो पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करने का काम करता है। चूंकि इसे महाराजा रूपसिंह ने बनवाया था इसलिए इस किले को रूपनगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। अजमेर मुख्य शहर से यह किला 27 कि. मी की दूरी पर है।

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बनी ठनी पेंटिंग कैसे मशहूर हुयी? बनी ठनी कौन है ?
बनी ठनी किशनगढ़ के राजा सावंत सिंह की दासी, संगीतकार, और कवियित्री थी. बनी ठनी का वास्तविक नाम विष्णुप्रिया था. आज बनी-ठनी या (बणी-ठणी) एक भारतीय चित्रकला का नाम है जो किशनगढ़ चित्रकला से सम्बन्धित है इनकी रचना निहाल चन्द ने की थी। इसको भारत (राजस्थान) की मोनालिसा भी कहा जाता है। बनी-ठणी तो राजस्थानी शब्द है , इसका हिन्दी में मतलब सजी-धजी होता है। यह स्वयं रसीक बिहारी के नाम से कविता करती थी।

आज बनी ठनी पेंटिंग मशहूर है इसमें राजस्थानी चित्र शैली की अधुभुत चित्रकला देखने को मिलती है विष्णुप्रिया इसका वास्तविक नाम है 

गुंडालाओ झील किशनगढ़ स्थित पर्यटन स्थलों की श्रृंखला में आप यहां की पुरानी गुंडालाओ झील की सैर का आनंद ले सकते हैं। इस झील का इस्तेमाल किशनगढ़ के महाराजाओ के वक्त पीने योग्य जल की आपूर्ति और आमोद-प्रमोद के लिए किया जाता था। हालांकि देख-रेख की की कमी के कारण यहां का जल काफी दूषित हो चुका है, इसलिए यह झील देखने मात्र ही रह गई है। गुंडालाओ झीले यहां के फूल महल पैलेस के पास बनी हुई है। शाही परिवार से सदस्य महल से ही इस झील के अद्भुत दृश्यों का आनंद लिया करते थे। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।

खोडा गणेश जी मंदिर किशनगढ़ के ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त कर सकते हैं। किशनगढ़ से लगभग 15 कि.मी की दूरी पर भगवान गणेश का पुराना मंदिर है, जो खोडा गणेश जी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 250 वर्षों पहले किशनगढ़ के शाही परिवार द्वारा किया गया था। यह मंदिर क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है, जिसके दर्शन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुओं का आगमन होता है। यहां ज्यादातर शादीशुदा जोड़े भगवान गणेश का आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए आते हैं। बुधवार के दिन यहां गणपति की भव्य पूजा की जाती है, और इस दिन भक्तों का भारी जमावड़ा भी लगता है।

उद्योग और व्यापार
यहाँ पर साबुन, ऊनी कालीन और शॉल बनाए जाते हैं। हथकरघा बुनाई, कपडे की रंगाई और कीमती पत्थरों की कटाई यहाँ के स्थानीय कुटीर उद्योग हैं। कपड़े की बुनाई तथा कपड़े एवं गल्ले का निर्यात यहाँ के प्रमुख धंधे हैं। नगर के पास ही संगमरमर, आबलु पत्थर तथा अभ्रक की खदानें हैं।

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