मिर्गी: लक्षण, कारण और उपचार
मिर्गी क्या है?
मिर्गी, जिसे अंग्रेजी में 'एपिलेप्सी' कहते हैं, एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें व्यक्ति को बार-बार दौरे (सीजर) आते हैं। यह विकार तब होता है जब मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों में असामान्यताएं होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अस्थायी रूप से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बाधित होती है। मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है और इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर डाल सकता है।
शरीर में इन चीजों की कमी होने से मिर्गी का खतरा
मैग्नीशियम की कमी : शरीर में मैग्नीशियम की अधिक कमी होने से भी मिर्गी के दौरे का खतरा बढ़ सकता है। एक शोध के अनुसार मैग्नीशियम सपलीमेंट मिर्गी के लक्षण को कम करते है।
विटामिन बी - 6 की कमी : शरीर में विटामिन बी 6 की कमी भी मिर्गी की समस्या को बढ़ा या पैदा कर सकती है। ऐसे में इन पोषक तत्वों और विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए सपलीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है।
विटामिन E की कमी : कई बार कुछ रोगियों में विटामिन E की कमी से भी मिर्गी के दौरे पड़ने लगते है। विटामिन E शरीर में एंटिऑक्सीडेंट गुणों को बढ़ाता है। 2016 की एक स्टडी के अनुसार, विटामिन E मिर्गी के लक्षणों को कंट्रोल करता है।
एसेंशियल ऑइल्स की कमी : मिर्गी की समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए तनाव या डिप्रेशन बहुत ज्यादा दिक्कत पैदा कर सकता है। ऐसे में मिर्गी के रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसी जगह से दूर रहना चाहिए जहां काम का प्रेशर अधिक होता है। इसके अलावा मेडीटेशन, योग करने के साथ एसेंशियल ऑइल्स जैसे लैवेंडर और कैमोमाइल के तेल की मालिश करने से भी राहत मिल सकती है।
मिर्गी से बचाव करने के तरीके।
हर्ब्स का उपयोग : मिर्गी के उपचार में कुछ हर्ब्स का उपयोग भी किया जाता है, ताकि रोगी को दौरा न पड़े। इसके लिए कैमोमाइल, पेंशन फ्लावर और वैलेरियन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनके उपयोग से मरीज में जल्दी ही सुधार होने लगता है। इन हर्ब्स या जड़ी-बूटियों के उपयोग एक्सपर्ट से पूछकर करे।
पौष्टिक आहार : मिर्गी के दौरे की समस्या कम पैदा हो, इसके लिए कीटोजेनिक आहार दिया जाना चाहिए। यह आहार गुड फैट और कम कार्ब्स वाले होते है। इसके अलावा रोगी एटकिन्स आहार यानी हाई प्रोटीन डाइट का भी सेवन कर सकता है।
मिर्गी के लक्षण
मिर्गी के लक्षण दौरे के प्रकार पर निर्भर करते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
दौरे (सीजर): यह मिर्गी का मुख्य लक्षण है। दौरे विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि छोटे दौरे (absence seizures) जिसमें व्यक्ति कुछ सेकंड के लिए होश खो बैठता है, और बड़े दौरे (tonic-clonic seizures) जिसमें व्यक्ति का पूरा शरीर कठोर हो जाता है और झटके आने लगते हैं।
संवेदनाओं में परिवर्तन: कुछ मामलों में, दौरे के दौरान व्यक्ति को आवाजें, रोशनी या गंध अजीब सी महसूस हो सकती हैं।
मांसपेशियों में ऐंठन: दौरे के दौरान व्यक्ति की मांसपेशियां अचानक से सख्त हो सकती हैं और ऐंठन आ सकती है।
बेहोशी: व्यक्ति दौरे के दौरान होश खो सकता है और कुछ समय के लिए बेहोश रह सकता है।
स्मृति दोष: दौरे के बाद व्यक्ति को घटना की कोई याद नहीं रहती।
मिर्गी के प्रकार
मिर्गी के दौरे विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:
- फोकल सीजर (Focal Seizures): यह मस्तिष्क के किसी एक हिस्से से शुरू होते हैं और लक्षण उस हिस्से पर निर्भर करते हैं।
- जनरलाइज्ड सीजर (Generalized Seizures): यह मस्तिष्क के दोनों हिस्सों में एक साथ शुरू होते हैं। यह आगे कई उपप्रकारों में विभाजित होते हैं:
- ऐब्सेंस सीजर (Absence Seizures): इसमें व्यक्ति कुछ सेकंड के लिए होश खो बैठता है।
- टॉनिक-कलोनिक सीजर (Tonic-Clonic Seizures): इसमें व्यक्ति के पूरे शरीर में कठोरता और झटके आते हैं।
- मायोक्लोनिक सीजर (Myoclonic Seizures): इसमें मांसपेशियों में अचानक झटके आते हैं।
- एटोनिक सीजर (Atonic Seizures): इसमें व्यक्ति अचानक गिर जाता है क्योंकि मांसपेशियों में अचानक कमजोरी आ जाती है।
मिर्गी के कारण
मिर्गी के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- आनुवांशिकता: मिर्गी का पारिवारिक इतिहास होने पर इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
- मस्तिष्क की चोट: सिर पर गंभीर चोट लगने से मिर्गी हो सकती है।
- संक्रामक रोग: जैसे मैनिन्जाइटिस, एन्सेफेलाइटिस, और एड्स मिर्गी को बढ़ावा दे सकते हैं।
- प्रसव के दौरान समस्याएं: जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, मस्तिष्क में रक्तस्राव या अन्य समस्याएं मिर्गी का कारण बन सकती हैं।
- मस्तिष्क की संरचनात्मक समस्याएं: मस्तिष्क में ट्यूमर, स्ट्रोक, और जन्मजात असामान्यताएं भी मिर्गी का कारण बन सकती हैं।
मिर्गी का निदान और उपचार
मिर्गी के निदान के लिए डॉक्टर विभिन्न परीक्षणों का उपयोग करते हैं, जिनमें EEG (इलेक्ट्रोएनसेफैलोग्राम), MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) और CT स्कैन शामिल हैं। यह परीक्षण मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों और संरचना की जांच करने में मदद करते हैं।
मिर्गी का उपचार कई तरीकों से किया जा सकता है:
- दवाइयां: मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने के लिए एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग्स (AEDs) दी जाती हैं।
- सर्जरी: जब दवाइयों से फायदा नहीं होता, तो मस्तिष्क के उस हिस्से को निकालने के लिए सर्जरी की जा सकती है जहाँ से दौरे शुरू होते हैं।
- वागस नर्व स्टिमुलेशन (VNS): इसमें एक उपकरण लगाया जाता है जो नियमित रूप से वागस नर्व को विद्युत संकेतान भेजता है, जिससे दौरे कम हो जाते हैं।
- किटोजेनिक डाइट: यह उच्च वसा और कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट होती है जो कुछ मामलों में दौरे को कम करने में मदद कर सकती है।
मिर्गी के साथ जीवन
मिर्गी का निदान होने के बाद जीवन में कुछ बदलावों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन उचित उपचार और देखभाल के साथ लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
दवाइयों का नियमित सेवन: डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों को नियमित रूप से लेना बेहद महत्वपूर्ण है।
नियमित नींद: पर्याप्त और नियमित नींद मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
तनाव प्रबंधन: तनाव मिर्गी के दौरे को बढ़ावा दे सकता है, इसलिए तनाव कम करने के उपाय करना महत्वपूर्ण है।
सुरक्षित वातावरण: अचानक दौरे के जोखिम को कम करने के लिए घर और कार्यस्थल को सुरक्षित बनाना आवश्यक है।
सहयोग: मिर्गी के मरीजों को परिवार और दोस्तों का सहयोग और समझ मिलना बहुत जरूरी है।
मिर्गी के बारे में जानकारी और समझ से हम इस विकार के साथ जीवन को बेहतर और सुरक्षित बना सकते हैं। नियमित चिकित्सा सलाह और सही देखभाल से मिर्गी के मरीज स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।
इन बातों का भी ध्यान रखना होगा।
- खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें।
- फास्ट फूड से करें परहेज।
- मादक पदार्थों का सेवन नहीं करे।
- रोगी को अकेला कभी न छोड़ें।
- दौरा आने पर नाक पर दवा का स्प्रे करें।
- रोगी को तालाब - नदी जैसी जगह पर नहाने से परहेज करना चाहिए।
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