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Update / 2022/06/25

Monkeypox: महामारी का रूप ले सकता है मंकीपॉक्स

Monkeypox: कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलो से वैज्ञानिक परेशान है। क्या भारत में भी आ सकता है मंकीपॉक्स? दुनिया भर के 12 देशो में इसके मरीज मिल चुके है भारत में अबतक तो इसके कोई भी केस नहीं है लेकिन भविष्य को लेकर सम्भावनाये जताएं जा रही है। भारत सरकार ने 'नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल' और 'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च' को अलर्ट रहने के लिए कहा है। WHO ने भी मंकीपॉक्स पर चिंता जताई है WHO का मानना है की मंकीपॉक्स फिजिकल कांटेक्ट में फैलता है। 

मंकीपॉक्स क्या है? (What is Monkeypox?)
मंकीपॉक्स एक वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है जो लगभग चेचक जैसे ही लक्षण रखता है। मंकीपॉक्स की खोज पहली बार 1958 में हुई थी जब शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसका नाम 'मंकीपॉक्स' पड़ा। मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में दर्ज किया गया था।

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है? (how monkeypox transmitted?)
सामान्यत ये वायरस संक्रमित मनुष्यों के शरीर से निकले वायरस के जरिये फैलता है जैसे छींक और लार से। लेकिन मंकीपॉक्स के त्वचा के संपर्क में आने व शारीरिक संबंध बनाने से भी फ़ैल रहा है इन संभावनाओ पर शोध शुरू है। वैज्ञानिको का मानना है की इसके संक्रमण दर का अनुमान लगाना थोडा कठिन है कांगो में मंकीपॉक्स का संक्रमण दर 73 प्रतिशत थी जो की डरा देने वाली थी।

मंकीपॉक्स बिमारी के लक्षण क्या है? (Monkeypox Symptoms)
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स में आमतौर पर बुखार आता है और चेचक जैसे ही दाने शरीर पर उभरते है इसमें सरदर्द, ठडं लगना, जल्दी थकान होना जैसे लक्षण भी शामिल है लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर 3 - 4 हफ्तों में दिखते है। मंकीपॉक्स में मृत्यु का अनुपात 3 - 6 प्रतिशत रहा है लेकिन यह 10 प्रतिशत तक पहुच सकता है हाल ही में संक्रमण के दौरान कोई भी मृत्यु का मामला सामने नहीं आया है। लेकिन सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

मंकीपॉक्स के उपचार (Monkeypox Treatment)
मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि होने पर चेचक की ही खुराक दी जाती है यह मंकीपॉक्स कर प्रभावी रूप से काम कर रहा है। अभी तक मंकीपॉक्स के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है चेचक के टिके ही प्रभावी है वैज्ञानिक इसको फैलने से बचने के लिए दवाई बनाने की खोज में जुटे है। लेकिन सावधानी जरुरी है मृत पशु के संर्पक में ना आये साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखे। शुरुवाती लक्षण दिखने पर ही डॉक्टर से संपर्क करे।


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