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Spiritual / 2022/06/07

Nirajala Ekadashi 2022: 10 या 11 जून को है निर्जला एकादशी, पढ़े पूजा विधि, महत्त्व और नियम

निर्जला एकादशी एक हिन्दू त्यौहार और हिन्दू धर्म में इसका अपना अलग महत्त्व है यह दिन भगवान श्री हरी विष्णु को समर्पित है कहा जाता है की जो भी मनुष्य पूरी भक्ति भाव से निर्जला एकादशी का व्रत करेगा उसपर भगवान विष्णु और देवी महालक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी और उसके घर में सदा सुख और समृद्धि बनी रहती है पूर्व काल में महाभारत के समय पांडवो में बलशाली भीम ने इस पावन व्रत को किया था और वो मूर्छित हो गए थे इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहते है जो इस वर्ष 10 जून को शुरू होकर 11 जून को समाप्त होगी।

निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त 2022 (NIrjala Ekadashi Shubh Muhurt 2022)

निर्जला एकादशी को लेकर लोगो में थोड़ी असमंजस की स्थिति है इस बार निर्जला एकादशी 10 जून 2022 को सुबह 7 बजकर 25 मिनट से  शुरू हो रही है और अगले दिन 11 जून 2022 को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसलिए इसे लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होना स्वाभाविक है की व्रत कब करना है 10 या 11 जून को । अब पंचांग की माने तो तिथि सूर्योदय के बाद लगने वाली तिथि का दिन माना जाता है। इस अनुसार 11 जून को एकदशी का व्रत करना उत्तम माना गया है। 

निर्जला एकादशी 2022 पूजा विधि (NIrjala Ekadashi Pooja Vidhi 2022)

निर्जला एकदशी का अर्थ है बिना जल का। अर्थात यह व्रत आपको बिना जल ग्रहण किये करना होता है यह काफी कठिन व्रत है विशेष कर जब गर्मी का मौसम अपने चरम पर हो तब इसलिए अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही इस व्रत को करे। 

1) निर्जला एकदशी के दिन की शुरुवार प्रथम ब्रश करने से होती है ध्यान रखे की इस दिन सादे पानी से कुल्ला ही करे पेड़ की टहनी ना तोड़े और टूथपेस्ट का उपयोग ना करे क्योकि टूथपेस्ट में  कई प्रकार के खाद्य सामग्री होती है और ब्रश के बाद पानी भी पीना पड़ता है।

2) निर्जला एकादशी के दिन पीले वस्त्र धारण करे। 

3) भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पित करें। 

4) विशेष कर आलस्य ना करे, आलस्य करने वाले मनुष्य से देवता रुष्ट हो जाते है इसलिए इस बात तो विशेष ध्यान रखे। 

5) एकदशी के दिन बिस्तर या पलंग पर नहीं सोना चाहियें, रात्री में जमीन पर ही सोना चाहियें। दिन में सोना वर्जित है। 

6) स्नान आदि से निवृत होकर गंगाजल से घर को शुद्ध करे फिर भगवान श्री हरी विष्णु की तस्वीर के सामने घी का दीपक प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प ले । 

7) भगवान विष्णु को पीले फुल प्रिय है इसलिए पीले फुल, चावल, दूर्वा, चन्दन और तुसली का पान चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करे। तुलसी दल अवश्य रूप चढ़ाए इनका विशेष महत्त्व है भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है।

8) अब व्रत कथा व महात्य पढ़े और भगवान विष्णु के समक्ष 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप कर ध्यान करे।

इस प्रकार भगवान श्री विष्णु का ध्यान करते हुए दिन व्यतीत करे और अगले दिन व्रत का पारण करे ब्राह्मणों या कन्याओ भोजन कराएं व्रत के समय कुछ ना खाएं पियें रात में जागरण करे भजन कीर्तन करें।

निर्जला एकदाशी का व्रत करने की मान्यता है की आप पुरे वर्ष की एकदशी नहीं कर सकते तो इस दिन व्रत करे आपको पुरे वर्ष की समस्त एकादशियो के व्रत का फल प्राप्त होगा। इस व्रत में अन्न और जल नहीं लिया जाता।

यह दिन विशेष है इसलिए मांस मदिरा से दूर रहे और अपशब्दों का उपयोग ना करे। पूर्णत सात्विक भोजन करे।

ऐसी मान्यता है की एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के सहस्त्रनामो के जाप करने से समस्त इच्छाओ की पूर्ति होती है इच्छा अनुसार फल प्राप्त होता है इसलिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करे। विष्णु सहस्त्रनामावली का जाप अत्यंत कठिन है वो भी उच्चारण की त्रुटी की संभावना अधिक रहती है इसलिए अगर आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नहीं कर सकते है तो आप विष्णु भगवन के उन 28 विशेष नामो का जाप अवश्य करे जो की स्वयं भगवान श्री कृष्णा ने अर्जुन को महाभारत काल में बाताये थे। जिज्ञासा वस अर्जुन ने भगवान कृष्णा से पूछा था की भगवान आपके सहस्त्र नाम बहुत ही कठिन है व इनका जाप करना हर किसी के लिए सरल नहीं है इसलिए कृपा करके आपके जो मुख्य नाम हो वो बताएं । तब अर्जुन की जिज्ञासा शांत करने के लिए भगवान श्री कृष्णा ने अपने उन दिव्य 28 नामो का वर्णन कर अर्जुन को सुनाया था ।


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