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नवरोज (नौरोज) कौन सा त्यौहार है और कैसे मनाया जाता है? How to Celebrate Nowruz Festival in India Read in Hindi
Update / 2023/03/21

नवरोज (नौरोज) कौन सा त्यौहार है और कैसे मनाया जाता है? पढ़े हिंदी में

नवरोज उत्सव क्या है? What is Nowruz Festival?
नवरोज इरानी और पारसी नव वर्ष है यह त्योहार दुनिया भर में बड़े हर्ष और उल्हास के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव प्रकृति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है। यह त्योहार समाज को विशेष वातावरण प्रदान करता है, क्योंकि नववर्ष की छुट्टियां आरंभ होने से लोगों में जो ख़ुशी व उत्साह दिखाता है वह पूरे वर्ष में नहीं दिखता।

nowruz 2023

नवरोज क्यों महत्वपूर्ण है? Why is Nowruz important
हर साल 20 या 21 मार्च को विश्व भर में यह त्योहार मनाया जाता है। प्रकृति के प्रति प्रेम को दर्शाने के लिए यह उत्सव विशेष रूप से ख़ास हो जाता है। पारसी लोगो के नए साल की शुरुवात इसी दिन से होती इसलिए यह त्योहार और भी ख़ास हो जाता है। लोग घरो की साफ़ सफाई करते है, घर सजाते है, नए कपडे खरीदते है, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते है व साथ में उत्सव भोज का आयोजन किया जाता है।


नवरोज फ़ूड Nowruz Food
जड़ी - बूटी वाले चावल जिसे सब्जी पोलो भी कहते है मछली के साथ एक पारंपारिक पारसी भोजन है। जिसे नवरोज के पहले दिन खाया जाता है। पारसी लोग जड़ी - बूटियों को अधिक महत्व देते है उनके लिए जड़ी - बूटियाँ पुनर्जन्म का प्रतिक है और मछलियाँ जीवन का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए दोनों ही नए साल के भोजन में शामिल किये जाते है।


नवरोज का इतिहास History of Nowruz
सभी धर्मो में अलग अलग तरह से और अलग अलग तरीको से अलग अलग दिन अपना अपना नया साल धूम धाम से मनाया जाता है। चैत्र महीने के प्रथम दिन से भारत में हिन्दू समाज द्वारा नया साल मनाया जाता है वैसे ही पारसी और ईरानी लोग अपना नवरोज मनाते है। हर साल मार्च महीने में 21 तारीख को यह त्यौहार मनाया जाता है। यह वह समय है जब पतझड़ से बाद प्रकृति फिरसे खिल रही होती है सूरज अपने चरम पर आने वाला होता है और नए मौसम के साथ नए जीवन की शुरुवात होती है।

पारसी न्यू ईयर को नवरोज, जमशेदी नवरोज, पतेती और खोरदाद साल के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि ये त्योहार साल में दो बार उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इसे 16 अगस्त और 21 मार्च को, छमाही और वार्षिक के तौर पर मनाया जाता है। आज दुनिया भर में करीब कई करोड़ लोग (मिलियन) से ज्यादा लोग नवरोज को बड़े उत्साह और उमंग के साथ हर साल मनाते हैं।


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