इंतज़ार ख़त्म, आ रहा है हिन्दुस्तान का शेर सम्राट पृथ्वीराज चौहान | अक्षय कुमार, मनुश्री चिल्लर
Prithviraj Chauhan: इंतज़ार ख़त्म, 3 जून 2022 को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी "सम्राट पृथ्वीराज चौहान", अक्षय कुमार और मनुश्री चिल्लर की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज चौहान का टीजर दर्शको को बहोत पसंद आया था और दर्शक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे फिल्म की रिलीज का परन्तु अब इंतज़ार ख़त्म हुआ और 3 दिन बार 3 जून को रिलीज होने वाली है पृथ्वीराज चौहान।
अंतिम हिन्दू सम्राट के नाम से जाने जाते है पृथ्वीराज चौहान जिनकी वीरता और आदर्शो की मिसाल दी जाती है जिनके जीवन में डर शब्द नहीं था जीवन के एक एक पल को शान से जीने वाले सम्राट पृथ्वीराज का जीवन देश की रक्षा के लिए समर्पित था। सुपरस्टार कहते हैं, "वह सबसे बहादुर योद्धाओं और सबसे ईमानदार राजाओं में से एक है जिसे हमारे देश ने देखा है। हमें उम्मीद है कि दुनिया भर के भारतीय इस इस पराक्रमी सम्राट को पेश हमारा सलाम पसंद करेंगे। हमने उनके जीवन की कहानी को यथासंभव प्रामाणिक तरीके से पेश करने की कोशिश की है और यह फिल्म उनकी बेजोड बहादुरी और साहस को हमारी श्रद्धांजलि है।”
पृथ्वीराज चौहान (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में 11वीं सदी के अंत में अजमेर और दिल्ली पर राज्य करते थे। इनके पिता की मृत्यू के उपरान्त 13 वर्ष की आयु में अजमेर के राजगढ़ की गद्दी को सँभाला। वे एक महान योद्धा थे और उनके बारे में प्रचलित था की उन्हें शब्द भेदी बाण चलाने में महारथ हासिल थी। इनका शारीरिक बल इतना था की उन्होंने एक बार बिना किसी हथियार के शेर को मार डाला था।
पृथ्वीराज चौहान को 6 भाषाओ को ज्ञान था जीने संस्कृत, प्राकृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश भाषा। इतना ही नहीं वेदांत, गणित, पुराण, इतिहास, चिकित्सा शास्त्र, सैन्य विज्ञान और मीमांसा का भी ज्ञान था।
पृथ्वीराज चौहान का युद्ध मोहम्मद गौरी के साथ हुआ 17 बार युद्ध में हराने के बाद गौरी को जिन्दा छोड़करपृथ्वीराज चौहान ने अपनी दरियादिली का उदाहरण दिया परन्तु 18 वी बार जयचंद जैसे घर के भेदी के साथ मिलकर पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया और उनकी आँखे फोड़ दी गयी फिर पृथ्वीराज के कवी चंदबरदाई ने मोहम्मद गौरी तक पृथ्वीराज के शब्द भेदी बाण चलाने के गुण के बारे में बताया और इस प्रदर्शन में चंदबरदाई ने अपनी काव्यात्मक भाषा में पृथ्वीराज चौहान को गौरी के स्थान का संकेत दिया 'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान' बस इस पंक्ति को सुनने के बाद पृथ्वीराज का बाण चला और गौरी मारा गया और फिर पृथ्वीराज और चंदबरदाई ने एक दुसरे को मार दिया। इस तरह एक महान जीवन जीकर पृथ्वीराज चौहान अमर हो गए।
गौरी से युद्ध के विषय में विस्तार से जानते है जिससे आपकी उत्सुकता फिल्म को लेकर और बढ़ जाएगी
पृथ्वीराज के पूर्ववर्तियों ने 12वीं शताब्दी तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों पर कब्जा करने वाले मुस्लिम राजवंशों के कई हमलों का सामना किया था। 12वीं शताब्दी के अंत तक ग़ज़नी आधारित ग़ोरी वंश ने चौहान राज्य के पश्चिम के क्षेत्र को नियंत्रित कर लिया था। 1175 में जब पृथ्वीराज एक बच्चा था, मोहम्मद ग़ोरी ने सिंधु नदी को पार किया और मुल्तान पर कब्जा कर लिया। 1178 में उसने गुजरात पर आक्रमण किया, जिस पर चालुक्यों (सोलंकियों) का शासन था। चौहानों को ग़ोरी आक्रमण का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि गुजरात के चालुक्यों ने 1178 में कसरावद के युद्ध में मोहम्मद को हरा दिया था।
अगले कुछ वर्षों में मोहम्मद ग़ोरी ने पेशावर, सिंध और पंजाब को जीतते हुए, चौहानों के पश्चिम में अपनी शक्ति को मजबूत किया। उन्होंने अपना अड्डा ग़ज़नी से पंजाब कर दिया और अपने साम्राज्य का विस्तार पूर्व की ओर करने का प्रयास किया। इससे उन्हें पृथ्वीराज के साथ संघर्ष में आना पड़ा। मध्यकालीन मुस्लिम लेखकों ने दोनों शासकों के बीच केवल एक या दो लड़ाइयों का उल्लेख किया है। तबक़ात-ए-नासिरी और तारिख-ए-फ़िरिश्ता में तराइन की दो लड़ाइयों का ज़िक्र है। जमी-उल-हिकाया और ताज-उल-मासीर ने तराइन की केवल दूसरी लड़ाई का उल्लेख किया है जिसमें पृथ्वीराज की हार हुई थी। हालांकि, हिन्दू और जैन लेखकों का कहना है कि पृथ्वीराज ने मारे जाने से पहले कई बार मोहम्मद को हराया था। जैसे कि हम्मीर महाकाव्य दावा करता है कि दोनों के बीच 9 लड़ाइयाँ हुई , पृथ्वीराज प्रबन्ध में 8 का जिक्र है, प्रबन्ध कोष 21 लड़ाइयों का दावा करता है जबकि प्रबन्ध चिंतामणि 22 बतलाता है। जबकि यह लेखन संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, यह संभव है कि पृथ्वीराज के शासनकाल के दौरान ग़ोरियों और चौहानों के बीच दो से अधिक मुठभेड़ हुईं।
आप सभी इस महान सम्राट के जीवन पर आधारित फिल्म जरुर देखिये और कमेंट कर हमें बताये की आपको यह फिल्म कैसी लगी।