नवरात्री पूजा विधि 2022 | सप्तम नवदुर्गा: माता कालरात्रि | माँ कालरात्रि मंत्र | आरती
दुर्गा जी का सातवां स्वरूप- कालरात्रि (7th Form of Navdurga)
दुर्गा जी का सातवां स्वरूप कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं।
देवी कालरात्रि का भयानक स्वरूप
देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं तथा इनके गले में विधुत की माला है। इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है। इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है। कालरात्रि का वाहन गर्दभ(गधा) है।
कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए। शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा।
शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया तथा शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया।
इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
माँ कालरात्रि का मंत्र (Mata Kaalratri Mantra) नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
नवरात्र का सातवां दिन (Seventh Day of Navratri): मां कालरात्रि की पूजा 2 अक्टूबर 2022 नवरात्र को की जाएगी।
पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।
विशेष: मान्यता है कि माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों (काला जादू) की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं। मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं।
माँ कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा।
खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा।
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी।।
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे।
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय।।
नवरात्री में किस दिन देवी के किस रूप की पूजा होती है? नवरात्रि की तिथि (Navratri 2022 tithi)
- 5 अक्टूबर 2022: दशहरा - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन (दशमी)