क्या है सोलह शृंगार? पढे सोलह शृंगार का विज्ञान और प्रभाव
अदाओं से लेकर आभूषण तक, सोलह श्रृंगार हमारी संस्कृति में गहरी भूमिका निभाता है। हर एक स्त्री की तैयारी और देखभाल में सोलह श्रृंगार एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे अपनाकर महिलाएं न केवल खुद को सुंदर बनाती हैं, बल्कि इसके माध्यम से वे अपनी आत्मा को उजागर करती हैं। सोलह श्रृंगार का प्रत्येक अंग एक खास भाव और प्रकाश प्रदान करता है। यह एक मानसिक, भावनात्मक, और सामाजिक महत्व रखता है, जो एक स्त्री के सौंदर्य और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
16 शृंगार केवल खूबसूरती नहीं बढ़ाते, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी शरीर के विभिन्न अंगो पर इनका अलग-अलग असर होता है।
मांग टीका- माना जाता है की यह शरीर की गर्मी की नियंत्रित करता है।
सिंदूर- इसमे मौजूद रेड लेड ऑक्साइड से दिमाग की नसे नियंत्रित रह सकती है।
बिंदी- जहां बिंदी लगाते है वह नर्व पॉइंट होता है। माना जाता है की इससे एकाग्रता मे मदद मिलती है।
काजल- माना जाता है की काजल लगाने से नकरत्म्क्ता कम होती है। साथ ही यह आंखो के लिए फायदेमंद है।
नथ- नाक मे छिद्र होने पर माहिलाओ मे प्रसव के दौरान कम तकलीफ होती है।
झुमके- कान के बाहरी हिस्से मे कई एक्यूप्रेशर पॉइंट होते है। गहनों से पड़ने वाले दबाब से किडनी और ब्लेडर स्वस्थ रह सकते है।
हार- मंगलसूत्र या गले का हार जैसे गहने ब्लड प्रैशर के स्टार को नियंत्रित कर सकते है।
गजरा- मान्यता है की चमेली के फूलों का गजरा सकारात्मकता लाता है। और ऊर्जा का संचार करता है।
बाजूबंद- ये मांसपेशियों मे खिचाव और हड्डियों मे दर्द को नियंत्रित करने मे सहायता कर सकता है।
चुड़ियां- सोने-चाँदी की चूड़ियां हाथ की हड्डियों के लिए लाभदायक होती है।
अंगूठी- अंगूठी वाली उंगली की नस मस्तिष्क से जुड़ी हुई है। माना जाता है की इससे मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है।
मेहँदी- यह रक्त संचार को नियंत्रित कर शरीर को ठंडक पहुंचा सकती है।
कमरबंद- यह कमर पर फेट को जमने से रोकता है।
पायल- माना जाता है की पायल साइटिका मे राहत दे सकती है। सूजी हुई ऐडिया भी ठीक हो सकती है।
बिछिया- बिछिया वाली उंगली की नसे यूटेरस और दिल से जुड़ी होती है। यह रक्त संचार पर नियंत्रिण और पीरियड नियमित रखने मे मददगार है।
लाल जोड़ा- यह पवित्रता का प्रतीक होता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है।
सोलह श्रृंगार हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें हमारे रूप, सौंदर्य, और स्त्रीत्व के प्रतीकों की महत्वता याद दिलाता है। इसे अपनाने से महिलाएं अपनी आत्मा को सुंदरता और सुरक्षा के साथ प्रकट करती हैं। सोलह श्रृंगार हमें हमारी राष्ट्रीय पहचान को महसूस कराता है और हमें हमारे संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ महसूस कराता है। यह हमारे विरासती धन को संजोने और इसे आगे बढ़ाने का एक माध्यम है।
सोलह श्रृंगार न केवल एक स्त्री की रूपरेखा को पूर्ण करता है, बल्कि उसे खुदरा रूप से अधिक विशेष बनाता है। यह उसकी साहसिकता, सुंदरता, और नारीशक्ति का प्रतीक है। सोलह श्रृंगार हमारी संस्कृति की अद्भुत विरासत का हिस्सा है और हमें हमारी मूल्यवान परंपराओं की महत्वता को समझने का अवसर देता है।