महान संगीतकार तानसेन थे एक ब्राह्मण, समय की मजबूरी से कबूला इस्लाम
तानसेन भारत के एक महान संगीतकार थे जो मुगल सम्राट अकबर के दरबार में सेवा करते थे। उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत को नए ऊंचाइयों तक ले जाया था और अपनी उत्कृष्ट रागदर्शी कौशल के कारण वे संगीत के सम्राट थे। देश के महान संगीतकार तानसेन ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। कहा जाता है कि बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।
तानसेन की विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- राग दर्शन: तानसेन ने विभिन्न रागों के दर्शन के लिए प्रसिद्ध हुए थे। उनकी रागदर्शी उत्कृष्ट थी और उन्होंने एक नया शैली विकसित की जो आज भी हिंदुस्तानी संगीत में उपयोग की जाती है।
- तबला और सितार: तानसेन तबला और सितार के उत्कृष्ट वादक भी थे। उन्होंने इन दोनों उपकरणों के लिए कुशलता से वाद्य बजाना सीखा था।
- संगीत समझ: तानसेन एक उत्कृष्ट संगीत समझ वाले थे और उन्हें संगीत के रूप, रंग, ताल और लय के बारे में विस्तृत ज्ञान था।
- संगीत शिक्षा: तानसेन एक अद्भुत गुरु थे और उन्होंने अपनी शिक्षा के द्वारा अनेकों उत्कृष्ठ शिष्यों को शिक्षा दी थी और उन्हें संगीत के तथ्यों और संगीत की विभिन्न पहलुओं के बारे में शिक्षा दी थी। तानसेन के शिष्यों में रामतानु, बहादुरखान, बिजयदास, सादिया खान आदि शामिल थे।
- संगीत में नये रचनात्मक तत्व: तानसेन एक रचनात्मक संगीतकार थे और उन्होंने अनेक नए रचनात्मक तत्वों को संगीत में परिचय कराया था। उन्होंने अपनी रचनाओं में ध्वनि, ताल, लय, रंग और भाव के उच्च स्तर का उपयोग किया था।
- संगीत में अनुशासन: तानसेन एक अत्यंत अनुशासित संगीतकार थे। उन्होंने न केवल अपने शिष्यों को संगीत के तत्वों की शिक्षा दी बल्कि उन्हें संगीत में अनुशासन का महत्व भी समझाया।
- संगीत में उत्कृष्टता: तानसेन संगीत के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता के कारण जाने जाते हैं। उन्होंने संगीत में अपनी कुशलता के कारण अनेक पुरस्कार भी प्राप्त किए थे।
तो यह थीं कुछ विशेषताएं जिनसे स्पष्ट होता है की तानसेन कितने महान संगीतकार थे और उनके योगदान का महत्व कितना है। तानसेन के संगीत की विशेषताओं को जानकर हम संगीत की दुनिया में एक नयी दृष्टि ला सकते हैं।
तानसेन एक अत्यंत प्रतिभाशाली संगीतकार थे जो संगीत के अनेक पहलुओं को अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने संगीत में अपनी कुशलता के कारण अनेक पुरस्कार जीते थे जैसे कि अकबर द्वारा दिया गया मुसीबत खानी पुरस्कार, जहांगीर द्वारा दिया गया महारत्न पुरस्कार और शाहजहाँ द्वारा दिया गया तानसेन सम्मान।
तानसेन एक रचनात्मक संगीतकार थे जो अपनी रचनाओं में नए तत्वों को परिचय कराया था। उन्होंने संगीत में ध्वनि, ताल, लय, रंग और भाव के उच्च स्तर का उपयोग किया था। इसलिए उनकी रचनाएं अपने आप में एक अनूठी शैली थीं।
तानसेन अपने शिष्यों को संगीत के तत्वों की शिक्षा देने के साथ-साथ संगीत में अनुशासन का महत्व भी समझाते थे। उन्होंने शिष्यों को संगीत के तत्वों को समझाने के लिए समय दिया था और शिष्यों को संगीत के तत्वों की गहराई से समझाने का प्रयास किया था।
तानसेन के व्यक्तित्व में एक अन्य विशेषता थी - वे अपने संगीत को एक साधन नहीं मानते थे, बल्कि उन्हें एक उपासना मानते थे। उन्होंने संगीत को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना था और उसे अपने जीवन का ध्येय बनाया था।
तानसेन ने अपने संगीत की रचनाओं में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और कर्नाटक संगीत का मिश्रण किया था। उनकी रचनाएं गमक, मीठी धुन, अनुसंधान, तान और लय के सम्मिलित होने के कारण अद्भुत होती थीं। उन्होंने अपने संगीत की रचनाओं में भारतीय रागों का उपयोग करते हुए उन्हें एक नए और विशिष्ट रूप में पेश किया था।
इस तरह तानसेन के संगीत की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए हम संगीत के इस महान संगीतकार के योगदान को समझ सकते हैं।
तानसेन के संगीत की खूबसूरती उनके तानों में थी, जो बेहद सुंदर थे और जो संगीत की अनुभूति को बढ़ाते थे। तानसेन के संगीत को एक उत्कृष्ट शैली के रूप में माना जाता है, जिसमें वे अपनी विशेष शैली का उपयोग करते थे।
तानसेन के संगीत में उनकी विशेषता का पता लगाने के लिए, हमें उनके द्वारा सम्पन्न कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के बारे में जानने की आवश्यकता है। तानसेन ने कई प्रसिद्ध रचनाएं की हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- मियां की मल्हार
- दरबारी कानडा
- राम तेरी गंगा मैली
- वृंदावन सरंग
- बिलावल तानसेन
तानसेन की रचनाएं बहुत ही प्रभावशाली हैं और उन्हें संगीत के इतिहास में अहम महत्व दिया जाता है। उनके संगीत ने संगीतकारों और श्रोताओं को एक नया दृष्टिकोण दिया है, जो संगीत की दुनिया में अद्भुत है।
तानसेन का संगीत समस्त भारतीय संगीत में अनुपम है। उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत को एक नया रूप दिया और उनके संगीत का प्रभाव समस्त भारतीय संगीत में महसूस किया जा सकता है।
तानसेन के बारे में जो विशेष बात है, वह हैं कि उन्होंने संगीत के ज्ञान को स्वयं सीखा था। उनके पिता मुकुन्द पांडेय स्वयं एक संगीतकार थे लेकिन उन्होंने तानसेन को नहीं सिखाया था। इसके बाद तानसेन ने अपनी उत्सुकता को आगे बढ़ाते हुए खुद संगीत की शिक्षा ली और अपनी संगीत की कला में विशेषज्ञ बना।
तानसेन का संगीत सुंदर था, लेकिन उनकी संगीत शैली की विशेषता उनके तानों में थी। तानसेन के तान संगीत के इतिहास में अहम दर्जा रखते हैं। उनके तान अद्भुत थे और संगीत की अनुभूति को बढ़ाते थे।
तानसेन के संगीत की एक अन्य विशेषता उनके रागों में थी। वे अपने रागों को उन्हें समझने और उनके भावों को समझने में मदद करने वाले नाम देते थे। उनके रागों के नाम उनकी विशेषता को दर्शाते थे जो उनके संगीत को अलग बनाते थे।
उनके संगीत में एक और विशेषता थी जो उन्हें अन्य संगीतकारों से अलग बनाती थी। वे अपनी संगीत में रागों के अंतर्गत अन्य ताल का भी उपयोग करते थे जिससे उनके संगीत को अधिक संयोजित बनाया जाता था।
तानसेन के संगीत की अन्य विशेषताओं में उनके अनुभव और संगीत के लिए उनकी प्रेम शामिल था। वे अपने संगीत के माध्यम से भगवान के साथ एकांत में भी रह सकते थे।