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Spiritual / 2022/09/24

नवरात्री पूजा विधि 2022 | तृतीय नवदुर्गा: माता चंद्रघंटा | माँ चंद्रघंटा मंत्र | आरती

दुर्गा जी का चंद्रघंटा अवतार (Navratri Day 3)

दुर्गा जी का तीसरा अवतार देवी चंद्रघंटा हैं। देवी के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। अपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण माँ "चंद्रघंटा" नाम से पुकारी जाती हैं। अपने वाहन सिंह पर सवार माँ का यह स्वरुप युद्ध व दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है। चंद्रघंटा को स्वर की देवी भी कहा जाता है।

देवी चंद्रघंटा का स्वरूप 
देवी चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत ही अद्भुत है। इनके दस हाथ हैं जिनमें इन्होंने शंख, कमल, धनुष-बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल, गदा आदि शस्त्र धारण कर रखे हैं। इनके माथे पर स्वर्णिम घंटे के आकार का चांद बना हुआ है और इनके गले में सफेद फूलों की माला है। चंद्रघंटा की सवारी सिंह है।

चंद्रघंटा देवी की मान्यता
देवी चंद्रघंटा का स्वरूप सदा ही युद्ध के लिए उद्यत रहने वाला दिखाई देता है। माना जाता है कि इनके घंटे की तेज व भयानक ध्वनि से दानव, अत्याचारी और राक्षस डरते हैं। देवी चंद्रघंटा की साधन करने वालों को अलौकिक सुख प्राप्त होता है तथा दिव्य ध्वनि सुनाई देती है।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र (Mata Chandraghanta Mantra)
स्वर्ण के समान उज्जवल वर्ण वाली माँ चंद्रघंटा की पूजा का यह मंत्र है-

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

माता का बीज मंत्र (Maa Chandraghanta beej mantra)

ऐं श्रीं शक्तयै नम:

नवरात्र का तीसरा दिन (Third Day of Navratri): मां चन्द्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है। साल 2022 में नवरात्र के दौरान मां चन्द्रघंटा जी की पूजा-अर्चना 28 सितंबर 2022 को की जाएगी।

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए और पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को देना उचित माना जाता है। इस दिन सिंदूर लगाने का भी रिवाज है। 

विशेष: इनकी उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। 


मां चंद्रघंटा की आरती (Maa Chandraghanta Aarti)

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तर पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
धंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्रांण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वांणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रि की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

नवरात्री में किस दिन देवी के किस रूप की पूजा होती है? नवरात्रि की तिथि (Navratri 2022 tithi)










  • 5 अक्टूबर 2022: दशहरा - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन (दशमी) 


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