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भगवान श्री कृष्ण के 5 प्रसिद्द मंदिर जहाँ आपको जीवन में कम से कम एक बार तो जरुर जाना चाहिए - Top 5 Krishna Temple in India
Travel / 2023/03/19

भगवान श्री कृष्ण के 5 प्रसिद्द मंदिर जहाँ आपको जीवन में कम से कम एक बार तो जरुर जाना चाहिए

भारत देश करोड़ो मंदिर है कई सभ्यताएँ कई धर्म कई भाषाओं के बावजूद यह मंदिर ही है जो देश को एक सूत्र में जोड़े हुए है। इन मंदिरों में असंख्य कहानियाँ और चमत्कार दबे हुए है। कई जगह तो विज्ञान भी नतमस्तक हो गया और वैज्ञानिक रहस्य सुलझाते सुलझाते खुद उलज कर रह गए। आज हम आपको ऐसे ही 5 महत्वपूर्ण मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है जिनके बारे कहा जाता है जीवन में कम से कम एक बार तो इन मंदिरों के दर्शन अवश्य करे। 

1.  वैदिक तारामंडल मंदिर, मायापुर

vedik taramandal mandir mayapur

2024 के बाद यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बन जायेगा। 2010 में इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था 2022 में इसका कार्य पूरा होने का अनुमान था लेकिन अब से 2024 तक पूरा होगा। यह मंदिर भगवान श्री कृष्णा का मंदिर है जिसे वैदिक तारामंडल मंदिर या श्री मायापुर चंद्रोदय मंदिर भी कहा जाता है। 


वैदिक तारामंडल का मंदिर इस्कॉन के वास्तुशिल्प से प्रेरित है। यह मंदिर पश्चिम बंगाल के नदिया जनपद के मायापुर में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। मंदिर कार्य पूरा होने पर आप यहाँ दर्शन करने जा सकते है।

2. श्री रंगानाथ स्वामी मंदिर, श्रीरंगम

rangnath swami mandir shriranga

भगवान श्री विष्णु का वास्तविक रूप हमें पता है की शेषनाग पर सोये हुए ही है लेकिन बहुत कम मंदिरों में ही भगवान श्री विष्णु शेषनाग की शैय्या पर विराजे हुए है, यह द्रविण शैली में निर्मित है। श्री रंगम, अपने श्री रंगनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्द है, जो की दुनिया का सबसे बड़ा क्रियाशील हिन्दू मंदिर है यह मंदिर 156 एकड़ में फैला है, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंगकोर वट है लेकिन वह मंदिर गैर क्रियाशील हिन्दू मंदिर है। 


इसलिए रंगनाथ स्वामी के मंदिर को सबसे बड़ा क्रियाशील मंदिर कहा गया है। यह मंदिर 21 गोपुरम से बना है मंदिर का गोपुरम एशिया में सबसे बड़ा है यह 236 फिट है, इसलिए इसे राज गोपुरम भी कहते है। जीवन में एक बार इस मंदिर को देखना बहुत से टूरिस्ट और हिन्दुओ का स्वप्न है। आप भी जरुर जाए।

3. श्री जगन्नाथ मंदिर, पूरी

jagannath puri

भगवान श्री कृष्ण का यह मंदिर ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पूरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ है जग का स्वामी मतलब पूरी दुनिया का स्वामी। कहा जाता है की यहाँ की मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण का जीवित दिल है जिसे ब्रम्हा पदार्थ कहा जाता है जिसे हर 12 साल में नईं मूर्ति में स्थानांतरित किया जाता है। साथ ही पूरी में किसी भी दिशा से देखने पर मंदिर पर लगा सुदर्शन चक्र सीधा ही दीखता है। 


यह मंदिर कलिंग शैली की स्थापत्यकला और शिल्प कला के आश्चर्यजनक प्रयोग किया गया है, यह मंदिर अपने भोजन प्रसादी के लिए भी प्रसिद्द है। भारत का यह भव्य मंदिर कई प्रकार के चमत्कारों के लिए प्रसिद्द है। जीवन में कम से कम एक बार यहाँ के दर्शन जरुर करे।

4. अनंता पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुवंतपुरम, केरला

padmnabh mandir

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में सुधार कार्य किए गए जाते रहे हैं। 


उदाहरणार्थ 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर की उर्जा ह्रदय को शांत कर देती है। अगर आप केरला जा रहे है तो इस मंदिर को अपनी ट्रिप में जरुर शामिल करे।

5. तिरुपति बालाजी मंदिर, तिरुपति

tirupati balajee mandir

तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे आमिर मंदिरों में आता है। तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम वेंकटेश्वर स्वामी है। जो स्वयं भगवान विष्णु हैं। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर भारत के मुख्य मंदिरो में से एक है। तिरुपति बालाजी की बहुत ही मान्यताए है जो की सच है माना जाता है की यहाँ स्वयं भगवान विराजे है। यहाँ मूर्ति पर जो बाल लगे है वो असली है और यह बाल कभी भी उलझते नहीं है और हमेशा मुलायम रहते है। 


जब मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे तो ऐसा लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में है। लेकिन आप जैसे ही गर्भगृह के बाहर आएंगे तो चौंक जाएंगे क्योंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है। अब यह सिर्फ भ्रम है या कोई भगवान का चमत्कार इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है। मान्यता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं जिसकी वजह से श्री वेंकेटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परम्परा है। 


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