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Vastu-Fengshui / 2022/05/31

Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र की वो बाते जो नहीं मानी तो मकान मालिक का नाश हो जाता है।

हमारे जीवन में परेशानियां आती रहती है और हम सोचते है की हमारे ग्रहों का दोष है या कुंडली का दोष है परन्तु वास्तव में ग्रहों से अधिक प्रभाव हमारे निवास स्थान का पड़ता है। घर या ऑफिस का वास्तु के अनुसार बना होना जरुरी है अन्यथा वहा के वास्तु दोष उसमे निवास करने वाले का ही नाश कर देते है। आईये जानते है इस विषय पर विस्तार से परन्तु अगर आप परेशानी में है तो आपको किसी ज्योतिष या वास्तुशास्त्री को अपना घर जरुर दिखाना चाहिए।

ghar ke vastu dosh

1. घर के बिच में भोजन कक्ष नहीं होना चाहियें ये आपके जीवन को संघर्षमय बना देता है और साथ में कई और समस्यायों को भी झेलना पड़ता है। घर के मध्य भाग में शोचालय भी नहीं होना चाहियें।

2. अग्नि की दिशा में पीपल, पाकर, वट, सेमल और गुलर का पेड़ नहीं होना चाहियें इस से गृहस्वामी को पीड़ा होती है और मृत्यु भी होने की संभावना होती है।

3. एक घर की चारो दीवारों से सटकर दूसरा मकान नहीं होना चाहिए सरल भाषा में कहे तो एक दिवार से मिलकर 2 घर नहीं होने चाहियें, भवन के चारों तरफ एवं मुख्य द्वार के सामने की भूमि आँगन या बगीचे के लिए छोडनी चाहियें।

vastu dosh

4. ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी ये सभी चीजे नयी ही उपयोग में ले पहले उपयोग की गयी लकड़ी दुसरे मकान में नहीं लगानी चाहियें ये सब चीजे दोष ग्रस्त होती है मकान मालिक को पीड़ा का सामना करना पड़ता है।

5. कोई घर द्वार मार्ग से वेधित हो तो घर के स्वामी की मृत्यु हो जाती है। सड़क, मार्ग या गली द्वारा द्वार-वेध होने पर पुरे कुल का नाश हो जाता है।

6. घर के ऊपर किसी प्रकार की छाया पड़ना अशुभ है जैसे की दुसरे मकान, ऊँचे मकान, मंदिर, नकारात्मक वृक्ष, ध्वज, पहाड़ इनमे से किसी की छाया सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे पड़े तो इसे छाया वेध कहते है। गृह निर्माण से पहले सभी प्रकार के वेध देखकर ही निर्माण करे।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए। इसका उल्लेख कई वास्तु ग्रंथों में मिलता है। भवन भास्कर और विश्वकर्मा प्रकाश सहित अन्य ग्रंथों में भी मिलता है। वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेनगेट सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए। वहीं आपके घर का ढलान पूर्व, उत्तर या पूर्व-उत्तर (इशान कोण) की और होना शुभ माना गया है। इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम एक खास दिशा में होने चाहिए। जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं।
 
पूर्व दिशा -  पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। यदि घर का मेनगेट इस दिशा में है तो बहुत अच्छा है। खिड़की भी रख सकते हैं।
 
पश्चिम दिशा - आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। रसोईघर और टॉयलेट पास- पास न हो, इसका भी ध्यान रखें।
 
उत्तर दिशा - इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि मेनगेट इस दिशा में है और अति उत्तम।
 
दक्षिण दिशा - दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। घर में इस स्थान पर भारी सामान रखें। यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग। इससे घर में क्लेश बढ़ता है।
 
उत्तर-पूर्व दिशा - इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह दिशा जल का स्थान है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए। इस दिशा में मेनगेट का होना बहुत ही अच्छा रहता है।
 
उत्तर-पश्चिम दिशा - इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
 
दक्षिण-पूर्व दिशा - इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह ‍अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
 
दक्षिण-पश्चिम दिशा - इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं। कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
 
घर का आंगन - घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे और पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा देने वाले फूलदार पौधे लगाएं।

उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है। शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं. अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की और जमीन का ढाल होना चाहिए। मकान के लिए भूमि का चयन करना सबसे ज्यादा महत्व रखता है। शुरुआत तो वहीं से होती है. भूमि कैसी है और कहां है यह देखना जरूरी है।  भूमि भी वास्तु अनुसार है तो आपके मकान का वास्तु और भी अच्छे फल देने लगेगा। आपका मकान मंदिर के पास है तो अति उत्तम। थोड़ा दूर है तो मध्यम और जहां से मंदिर नहीं दिखाई देता वह निम्नतम है. मकान उस शहर में हो जहां 1 नदी, 5 तालाब, 21 बावड़ी और 2 पहाड़ हो। मकान पहाड़ के उत्तर की ओर बनाएं। मकान शहर के पूर्व, पश्‍चिम या उत्तर दिशा में बनाएं। मकान के सामने तीन रास्ते न हों. मकान के एकदम सामने खंभा या वृक्ष न हो। मकान अपनों के ही के पास बनाएं. मकान ऐसी जगह हो जहां आसपास सज्जन या स्वजातीय के लोग रहते हों। 


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